भारत में बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा की घटना ओडिशा में सामने आया है, जहां ज़िला प्रशासन ने एक मुर्गीपालन फार्म में एवियन इन्फ्लूएंजा के H5N1 प्रकार की पुष्टि के बाद , 11,700 से अधिक मुर्गियों को मार डाला गया है।
इससे पहले अप्रैल 2024 में, केरल के अलाप्पुझा जिले में बत्तखों में बर्ड फ्लू पाये जाने के बाद वहाँ पर बर्ड फ्लू के फैलने से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर बत्तखों को मार दिया गया था।
भारत में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस ए (एच5एन1) के प्रकोप का पहला मामला फरवरी 2006 में महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के नवापुर तहसील के स्थित एक पोल्ट्री फार्म में सामने आया था।
बर्ड फ्लू का हालिया मामला ओडिशा के पुरी जिले में स्थित पिपिली शहर के एक मुर्गीपालन फार्म से आया है। मुर्गीपालन फार्म में मुर्गियों की सामूहिक मौत की रिपोर्ट के बाद, स्थानीय अधिकारियों ने संक्रमित मुर्गियों के शवों को परीक्षण के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजा, जहां पक्षियों के शवों में H5N1 वायरस की उपस्थिति की पुष्टि हुई। .
भोपाल प्रयोगशाला से पुष्टि के बाद, जिला अधिकारियों ने मुर्गीपालन फार्म, आसपास के घरों और गांव क्षेत्र में पायी जाने वाली सभी मुर्गियों को मारना शुरू कर दिया है ।
एवियन इन्फ्लूएंजा, जिसे आमतौर पर "बर्ड फ्लू" कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो मुख्यतः पक्षियों में पाया जाता है लेकिन कभी-कभी यह संक्रमित पक्षियों से मनुष्यों में भी फैल सकता है।
एवियन इन्फ्लूएंजा A वायरस उपप्रकार H5N1 इन्फ्लुएंजा A(H5N1) मनुष्यों में बर्ड फ्लू का सबसे आम कारण है। हालाँकि, हाल ही में, इन्फ्लूएंजा के H7N7 और H7N9 उपभेदों के कारण भी मनुष्यों में बर्ड फ्लू पाया गया है।
मनुष्यों में बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में हांगकांग में मुर्गीपालन फार्म के श्रमिकों के बीच पाया गया था।
भारत में एवियन इन्फ्लुएंजा ए(एच5एन1) का पहला मानव मामला जून 2021 में हरियाणा से सामने आया था जहां एवियन इन्फ्लुएंजा ए(एच5एन1) संक्रमण के कारण एक 18 वर्षीय लड़के की मृत्यु हो गई थी ।
वायरस का वाहक
जंगली पक्षी इस वायरस के प्राकृतिक वाहक हैं, और उनसे, वे घरेलू मुर्गीपालन और अन्य पक्षी और पशु प्रजातियों में फैलते हैं।
संक्रमित पक्षी अपनी लार, श्लेष्मा और मल के माध्यम से एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस फैलाते हैं।
कोई व्यक्ति इस वायरस से तब संक्रमित हो सकता है जब वायरस उस व्यक्ति में या उसकी आंखों, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में चला जाता है।
मनुष्यों में संक्रमण के लक्षणों में खांसी, मांसपेशियों में दर्द, नाक बहना और गले में खराश शामिल हैं। यह रोग व्यक्ति में गंभीर निमोनिया का कारण बन सकता है जिससे मृत्यु भी हो सकती है।