उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 26 फरवरी, 2025 को अरुणाचल प्रदेश के कामले जिले के बोआसिमला में आयोजित पहले संयुक्त मेगा न्योकुम युलो उत्सव में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
उत्सव समारोह में उपराष्ट्रपति के साथ केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे।
न्योकुम युलो उत्सव अरुणाचल प्रदेश की न्यीशी जनजाति का एक कृषि त्योहार है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कबक यानो को भी सम्मानित किया
कबाक यानो और उसकी उपलब्धि
- कबाक यानो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली अरुणाचल प्रदेश की 5वीं और न्यीशी जनजाति की पहली महिला हैं।
- एक अनियत श्रमिक की बेटी, कबक यानो ने 21 मई 2024 को माउंट एवरेस्ट को फतह किया था।
न्यीशी जनजाति के बारे में
- न्यीशी जनजाति राज्य की सबसे बड़ी जनजाति हैं।
- वे रजाया के सात जिलों : क्रा दादी, कुरुंग कुमेय, पूर्वी कामेंग, पश्चिमी कामेंग, पापुम पारे, अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी और ऊपरी सुबनसिरी जिलों के में पाए जाते हैं।
- वे असम के सोनितपुर और उत्तरी लखीमपुर जिलों में भी बसे हुए हैं।
- वे चीन-तिब्बती परिवार की तिब्बती-बर्मन भाषा बोलते हैं।
- उनकी आर्थिक गतिवधि मुख्य रूप से आदिम स्थानांतरित कृषि और शिकार तथा मछली पकड़ने पर निर्भर हैं।
न्योकुम यूलो के बारे में
न्योकुम शब्द न्योक और कुम से बना है। न्योक का अर्थ भूमि (पृथ्वी) और कुम का अर्थ सामूहिकता या एकजुटता है।
- यह त्योहार खेती से जुड़ा है।
- त्योहार के दौरान समृद्धि की देवी, न्योकुम की पूजा,भरपूर फसल के लिए और फसलों को सूखे, बाढ़ या महामारी से बचाने के लिए की जाती है।
- न्यीशी लोगों का मानना है कि बाढ़, सूखा आदि जैसी प्राकृतिक आपदाएँ प्रकृति के देवता और देवी की नाराजगी और क्रोध के कारण होती हैं।
- न्योकुम यूलो एक ऐसा अवसर है जब न्यीशी लोग देवता और देवी की पूजा करते हैं ताकि वे क्रोधित न हों और भूमि को भरपूर फसल का आशीर्वाद दें।
- न्यीशी की मुख्य मुख्य प्रार्थना संरचना बांस से बनी है, जिसे युगांग कहा जाता है।
- वे किसी मूर्ति की पूजा नहीं करते है बल्कि और गाय, मिथुन और बकरियों जैसे मवेशियों की देवी और देवता को खुश करने की लिए बलि देते है।
- समारोह के दौरान न्यीशी पुरुष और महिलाएं गोलाकार रूप में हाथ पकड़ कर देवी न्योकुम को श्रद्धांजलि देते हुए गाते और नृत्य करते हैं।
अरुणाचल प्रदेश के बारे में
यह भारत का सबसे पूर्वी क्षेत्र है। भारत का सबसे पूर्वी बिंदु, किबिथु, राज्य के अंजॉ जिले में स्थित है।
क्षेत्रफल के हिसाब से यह उत्तर पूर्वी राज्यों के आठ राज्यों में सबसे बड़ा है।
इस राज्य का उल्लेख कल्कि पुराण में मिलता है और माना जाता है कि भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी अरुणाचल प्रदेश की थीं।
अरुणाचल प्रदेश को 'उगते सूरज की भूमि या भोर की रोशनी वाले पहाड़ों की भूमि' के रूप में भी जाना जाता है।
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बौद्ध मठ तवांग, अरुणाचल प्रदेश में है। दुनिया का सबसे बड़ा मठ पोटाला पैलेस तिब्बत में है।
आजादी के बाद, इस क्षेत्र का नाम नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर प्रोविंस (एनईएफ़ए) रखा गया और 1972 में इसका नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश कर दिया गया।
अरुणाचल प्रदेश प्रारंभ में एक केंद्र शासित प्रदेश था, जिसे 1987 में भारत का 24वां राज्य बनाया गया।
राजधानी: ईटानगर
राज्यपाल: लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कैवल्य त्रिविक्रम परनायक