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टाटा पावर महाराष्ट्र में दो पंपयुक्त जल भंडारण परियोजनाएं विकसित करेगा

Utkarsh Classes Last Updated 10-01-2024
Tata Power To Develop Two 2800 MW Pumped Hydel Project In Maharashtra Energy 5 min read

टाटा पावर ने 13,000 करोड़ रुपये की लागत से 2800 मेगावाट की दो पंपयुक्त जल भंडारण परियोजनाएं  विकसित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।  पंपयुक्त जल भंडारण परियोजनाएं  विश्वसनीय, 24x7, निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नवीकरणीय सौर और पवन परियोजनाओं का समर्थन करेंगी।

परियोजना कहाँ स्थापित की जा रही है?

2800 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली दो परियोजनाएं शिरवाटा, पुणे (1000 मेगावाट) और भिवपुरी, रायगढ़ (1000 मेगावाट) में  स्थित होंगी।

यहे दोनों भंडारण परियोजनाएं पश्चिमी घाट में स्थित हैं जहां की स्थलाकृति पंपयुक्त जल भंडारण परियोजनाओं के निर्माण के लिए उपयुक्त है ।

टाटा पावर पहले से ही इस क्षेत्र में तीन जलविद्युत परियोजनाएं संचालित कर रही है।

  • 72 मेगावाट का खोपोली जलविद्युत संयंत्र जो पातालगंगा नदी पर बनाया गया है। 

  • 75 मेगावाट का भिवपुरी जलविद्युत संयंत्र, जो भिवपुरी नदी पर बनाया गया है। 

  • 300 मेगावाट की भीरा जलविद्युत परियोजना, कुंडलिका नदी पर बने मुलशी बांध के पानी का उपयोग करती है। भीरा परियोजना इसमें 150 मेगावाट कापंपयुक्त जल भंडारण परियोजना भी है।

पंपयुक्त जल भंडारण परियोजना है क्या? 

पंपयुक्त जल भंडारण परियोजना में दो जलाशय बनाई जाती है। एक जलाशय ऊंचाई पर बनाई जाता है और दूसरा निचले स्तर पर। बिजली के मांग को देखते हुए  पानी को एक जलाशय से दूसरे जलाशय में लाया जाता है ताकि जरूरत के अनुसार बिजली का भंडारण और उत्पादन हो सके । 

अधिक बिजली आपूर्ति के समय पानी को निचले जलाशय से ऊपरी जलाशय में पंप किया जाता है और बिजली की कम मांग होने पर पानी को फिर से निचले जलाशय में वापस भेजा जाता है।

पंपयुक्त जल भंडारण परियोजनाएं  कैसे काम करता है?

 पंपयुक्त जल भंडारण  जलविद्युत संयंत्र के काम करने का सिद्धांत पारंपरिक जलविद्युत संयंत्र के समान है। अंतर केवल इतना है कि पंपयुक्त भंडारण जलविद्युत संयंत्र में एक ही पानी को बार-बार उपयोग करने की क्षमता होती है। जब बिजली की मांग बढ़ती है, तो पानी ऊपरी भंडारण से निचले भंडारण की ओर प्रवाहित होता है और एक पाइप पर गिरता है जो टरबाइन को घुमाता है, जो बदले में जनरेटर को घुमाता है, जिससे बिजली पैदा होती है।

फिर पानी निचले जलाशय में प्रवाहित होता है जहां यह बिजली की मांग कम होने तक रहता है। यदि बिजली की मांग अधिक है तो पंप भंडारण जलविद्युत परियोजना बिजली उत्पादन शुरू कर देगी और यदि कम है तो पानी को वापस निचले जलाशयों में पंप किया जा सकता है और बिजली का उत्पादन बंद हो जाएगा।

जब बिजली की मांग बढ़ती है तो टरबाइन पानी को वापस ऊपरी जलाशय में पंप करने के लिए पीछे की ओर घूमते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर इसे एक बार फिर बिजली पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

पंप हाइड्रो: नवीकरणीय ऊर्जा के लिए ग्रिड की बैटरी

पंपयुक्त जल भंडारण परियोजनाएं विश्वसनीय, 24/7, निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नवीकरणीय सौर और पवन परियोजनाओं का समर्थन करेंगी। सौर या पवन से बिजली का उत्पादन मौसम की घटनाओं पर निर्भर है। सोलर पैनल द्वारा बिजली का उत्पादन तभी किया जा सकता है जब इसे सूर्य की किरणों से चार्ज किया जाए जो कि केवल दिन में या धूप वाले दिन ही हो सकता है। यह रात के समय या बादल वाले वातावरण में बिजली का उत्पादन नहीं कर सकता है। 

इसके अलावा पवन ऊर्जा का उत्पादन प्रचलित हवा की स्थिति पर निर्भर करता है। बिजली उत्पादन के लिए इष्टतम हवा की गति की आवश्यकता होती है। ऊर्जा के इन नवीकरणीय स्रोतों के साथ समस्या यह है कि इनका उत्पादन उपभोक्ताओं की माँग के अनुसार बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता और यह विश्वसनीय भी नहीं हैं।

बिजली ग्रिड को बैकअप प्रदान करने और स्थिर करने के लिए, पवन या सौर ऊर्जा के माध्यम से आपूर्ति की जाने वाली बिजली को पूरक करने के लिए पंप भंडारण जलविद्युत का उपयोग किया जा सकता है। यदि बिजली की मांग अधिक है तो पंप भंडारण जलविद्युत परियोजना बिजली उत्पादन शुरू कर देगी और यदि है तो कम होने पर पानी को वापस निचले जलाशयों में डाला जा सकता है और इससे बिजली का उत्पादन बंद हो जाएगा।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री: एकनाथ शिंदे

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री: देवेन्द्र फड़णवीस

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