सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2023 को पारित अपने आदेश में कहा कि वह पश्चिम बंगाल के 13 राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की लघुसूचीयन और नियुक्ति के लिए एक खोज समिति का गठन करेगा। कोर्ट ने राज्य के राज्यपाल, राज्य सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से इन नियुक्तियों के लिए चयन पैनल में शामिल करने के लिए प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, टेक्नोक्रेट, प्रशासकों, शिक्षाविदों और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के तीन से पांच नाम सुझाने को कहा। उन्हें 4 अक्टूबर, 2023 तक नाम जमा करने के लिए कहा गया है।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की दो न्यायाधीशों की पीठ संविधान के अनुच्छेद 138 के तहत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। राज्य सरकार की याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 जून, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था राज्य के राज्यपाल सी वी आनंद बोस द्वारा 13 राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में कोई अवैधता नहीं थी। राज्यपाल राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं।
राज्य के राज्यपाल राज्य विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति होते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के आधार पर, एक खोज समिति का गठन किया जाता है जो कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए कुलाधिपति को नामों के एक पैनल की सिफारिश करती है। चांसलर के पास खोज पैनल द्वारा सुझाए गए नामों के पैनल से किसी व्यक्ति का चयन करने का विवेकाधिकार है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने खोज समिति द्वारा सुझाए गए नामों को स्वीकार नहीं किया और चयनित नामों को अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया। राज्यपाल के अनुसार, अनुशंसित व्यक्ति सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार हैं, और अगर उनकी नियुक्ति की गई तो वे राज्य की शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि राज्य सरकार उस व्यक्ति को कुलपति के रूप में नियुक्ति नहीं कर सकती है, जिसे कुलाधिपति ने मंजूरी नहीं दी है। गंभीरदन के. गढ़वी बनाम गुजरात राज्य 2022 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि यूजीसी दिशानिर्देशों और राज्य सरकार के कानून के बीच कोई टकराव है, तो यूजीसी दिशानिर्देश मान्य होंगे।
संविधान के अनुच्छेद 254 के प्रावधान के अनुसार यदि समवर्ती सूची में सूचीबद्ध विषय वस्तु पर केंद्रीय और राज्य कानून के प्रावधानों के बीच विरोधाभास होता है तो केंद्रीय कानून राज्य कानून पर हावी होगा। शिक्षा समवर्ती सूची में है।
राज्यपाल की शक्ति को कम करने के लिए, पश्चिम बंगाल विधान सभा ने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया। विधेयक में राज्य के मुख्यमंत्री को राज्य विश्वविद्यालयों का चांसलर बनाने का प्रावधान है। यह विधेयक एक खोज समिति के गठन का भी प्रावधान करता है। विधेयक पर अभी तक राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं और न ही उसे लौटाया है। इस प्रकार, इसका कानून बनना अभी बाकी है।
पिछले साल, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल संशोधन धिनियम 2018 को 2018 के यूजीसी दिशानिर्देशों के विरुद्ध माना था और इसलिए राज्य के क़ानून को अवैध ठहराया था।
इस अधिनियम के तहत नियुक्ति किए कुलपति को अवैध ठहराया गया। इसके बाद राज्य में आदिनियम के तहत नियुक्त कुलपतियों को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में राज्य सरकार ने यूजीसी दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (संशोधन) 2023 अध्यादेश जारी किया।
बाद में, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने अंतरिम कुलपति उम्मीदवार के रूप में नियुक्त होने के लिए 27 लोगों का नाम राज्यपाल को सौंपा।
राज्यपाल ने दो नाम स्वीकार किए और राज्य सरकार से परामर्श किए बिना 13 अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की।
राज्यपाल के इस कृत्य को राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने अंतरिम कुलपति नियुक्त करने की राज्यपाल की शक्ति को बरकरार रखा। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री: ममता बनर्जी