रूस अगले साल एस-400 ट्रायम्फ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की शेष दो इकाइयों की आपूर्ति करेगा। शेष दो इकाइयों की डिलीवरी के लिए रूसी और भारतीय अधिकारियों के बीच नए कार्यक्रम पर सहमति बन गई है। रूस, जनवरी 2025 तक दो रूसी निर्मित नौसैनिक युद्धपोत, तुशिल और तमाल भी भारत को सौंप देगा।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है और रूस, भारत को रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है।
अक्टूबर 2018 में, भारत ने एस-400 ट्रायम्फ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों की खरीद के लिए रूस के साथ 5.5 बिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत ने कहा था कि चीन का मुकाबला करने के लिए उसे एंटी मिसाइल सिस्टम की जरूरत है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने उस समय भारत को चेतावनी दी थी कि रूस के साथ समझौते पर काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) के प्रावधानों के तहत अमेरिकी प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
सीएएटीएसए कानून , जिसे 2017 में लाया गया था, रूसी, ईरानी और उत्तर कोरियाई रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में शामिल किसी भी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूसी एस-400 मिसाइलें हासिल करने के लिए अपने नाटो सहयोगी देश तुर्की पर प्रतिबंध लगाया था। हालाँकि अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाने का फैसला किया है।
रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल सिस्टम की पहली इकाई की डिलीवरी शुरू की थी। अब तक रूसी सरकार द्वारा तीन इकाइयों की डिलीवरी की जा चुकी है।
पूरे पांच इकाई रूस को 2024 तक भारत को देने थे लेकिन शेष दो इकाई ,यूक्रेन युद्ध के कारण रूस द्वारा विलंबित हो गए। रूस ने बाकी दो इकाई को यूक्रेन के खिलाफ अपने इस्तेमाल के लिए डायवर्ट कर दिया।
भारतीय वायु सेना ने चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर अपनी तीन एस-400 मिसाइल विरोधी इकाई तैनात की हैं। एक इकाई को पाकिस्तान सीमा पर और दूसरी को चीनी सीमा पर तैनात किया गया है। एक इकाई चीनी और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर तैनात है।