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रूस अगले साल एस-400 मिसाइल प्रणाली की शेष इकाइयों की आपूर्ति करेगा

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Russia to supply remaining units of S-400 missile system next year Defence 5 min read

रूस अगले साल एस-400 ट्रायम्फ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की शेष दो इकाइयों की आपूर्ति करेगा। शेष दो इकाइयों की डिलीवरी के लिए रूसी और भारतीय अधिकारियों के बीच नए कार्यक्रम पर सहमति बन गई है। रूस, जनवरी 2025 तक दो रूसी निर्मित नौसैनिक युद्धपोत, तुशिल और तमाल भी भारत को सौंप देगा।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है और रूस, भारत को रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है।

एस -400 सौदे की पृष्ठभूमि

अक्टूबर 2018 में, भारत ने एस-400 ट्रायम्फ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों की खरीद के लिए रूस के साथ 5.5 बिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

 भारत ने कहा था कि चीन का मुकाबला करने के लिए उसे एंटी मिसाइल सिस्टम की जरूरत है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने उस समय भारत को चेतावनी दी थी कि रूस के साथ समझौते पर काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) के प्रावधानों के तहत अमेरिकी प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

सीएएटीएसए कानून , जिसे 2017 में लाया गया था, रूसी, ईरानी और उत्तर कोरियाई रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में शामिल किसी भी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूसी एस-400 मिसाइलें हासिल करने के लिए अपने नाटो सहयोगी देश  तुर्की पर प्रतिबंध लगाया था। हालाँकि अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाने का फैसला किया है।

एस -400 मिसाइल रोधी सिस्टम की तैनाती

रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल सिस्टम की पहली इकाई की डिलीवरी शुरू की थी। अब तक रूसी सरकार द्वारा तीन इकाइयों की डिलीवरी की जा चुकी है।

पूरे पांच  इकाई रूस को 2024 तक भारत को देने थे लेकिन शेष दो इकाई ,यूक्रेन युद्ध के कारण रूस द्वारा विलंबित हो गए। रूस ने बाकी दो इकाई को यूक्रेन के खिलाफ अपने इस्तेमाल के लिए डायवर्ट कर दिया।

भारतीय वायु सेना ने चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर अपनी तीन एस-400 मिसाइल विरोधी इकाई तैनात की हैं। एक इकाई को पाकिस्तान सीमा पर और दूसरी को चीनी सीमा पर तैनात किया गया है। एक इकाई चीनी और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर तैनात है।

एस -400 मिसाइल रोधी सिस्टम की खासियत

  • एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल विरोधी सिस्टम एक मोबाइल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है।
  • एस-400 प्रणाली जिसे नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) द्वारा SA-21 ग्रोलर नाम दिया गया है, शत्रुतापूर्ण इलेक्ट्रॉनिक युद्धक विमान, हवाई प्रारंभिक चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली, रणनीतिक बमवर्षक, छोटी दूरी और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी)को मार गिराने में सक्षम है।
  • एस-400  रूस की लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की चौथी पीढ़ी है जो एस-200 और एस-300 प्रणाली का उत्तराधिकारी है।
  • यह मिसाइल विरोधी सिस्टम 250 -400 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।

रूस द्वारा नौसेना फ्रिगेट्स की डिलीवरी

  • भारत ने रूस से चार नौसैनिक युद्धपोत खरीदने के लिए 2018 में रूस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • दो फ्रिगेट रूस में बनाए जाने थे जबकि दो का निर्माण रूसी लाइसेंस के तहत भारत में किया जाना था।
  • रूस को 2022 तक दो नौसैनिक जहाजों की आपूर्ति करनी थी लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण इसमें देरी हुई।
  • रूस सितंबर 2024 में पहला युद्धपोत तुशिल भारत को देगा जबकि दूसरा युद्धपोत तमाल जनवरी 2025 में भारत को सौंप दिया जाएगा।

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