सीरिया में हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस के विद्रोहियों ने 8 दिसंबर 2024 को बशर अल-असद की सरकार गिरने के बाद 10 दिसंबर 2024 को मोहम्मद अल-बशीर को सीरिया का अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया। मोहम्मद अल-बशीर 1 मार्च 2025 तक सीरिया में अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे।
मोहम्मद अल-बशीर विद्रोही जिहादी संगठन एचटीएस का हिस्सा है, जिसने 8 दिसंबर 2024 को राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर असद परिवार के पांच दशकों के शासन को समाप्त कर दिया।
अपदस्थ राष्ट्रपति सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद देश से भाग कर रूस के शरण लिया है। रूस ,असद सरकार का सबसे बड़ा समर्थक देश था और उसके सीरिया में सैन्य अड्डा है।
सीरिया पर 1963 से बाथ पार्टी का शासन है। बाथ पार्टी एक क्रांतिकारी राजनीतिक विचार धारा वाली पार्टी है जो सभी अरब देशों को मिलाकर एक अरब समाजवादी राष्ट्र के गठन की वकालत करता है । बाथ पार्टी 1963 और 1968 में क्रमशः दो अरब देशों, सीरिया और इराक में सत्ता में आई।
बाथ पार्टी, जो परंपरागत रूप से अमेरिका विरोधी और पश्चिमी विरोधी रही है, का प्रमुख समर्थक देश
सोवियत संघ और बाद में रूस है।
इराक के बाथ पार्टी के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को 2003 के युद्ध में अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन ने सत्ता से उखाड़ फेंका था।
1970 में, हाफ़िज़ अल असद ने सीरिया में सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और 1971 में राष्ट्रपति चुने गए। वे 2000 में अपनी मृत्यु तक राष्ट्रपति बने रहे और 2000 में उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे बशर अल-असद ने उनका स्थान लिया।
बशर अल-असद ने देश में अपने पिता के सत्तावादी शासन को जारी रखा।
वर्ष 2011 में सीरिया में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए, जो पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में लोकतंत्र आंदोलन से प्रेरित थे, जिसे अरब स्प्रिंग के नाम से जाना जाता है। इ
स विरोध प्रदर्शन को असद शासन द्वारा क्रूरतापूर्वक कुचल दिया गया था, और बाद में उसी वर्ष पश्चिमी देशों के समर्थन से देश में सीरियाई राष्ट्रीय सेना के बैनर तले एक सशस्त्र आंदोलन उभरा।
2013 में, इस्लामिक आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) पूर्वी सीरिया और पश्चिमी इराक में सरकारी विरोधी शक्ति के रूप में उभरा।
रूस ने 2015 में देश के गृह युद्ध में हस्तक्षेप किया और विद्रोहियों पर सैन्य हमले किए।
ईरान, जिसका असद शासन के साथ घनिष्ठ संबंध था, ने सीरियाई विद्रोहियों से लड़ने के लिए हिजबुल्लाह लड़ाकों को सीरिया भेजा। हिजबुल्लाह लेबनान में एक उग्रवादी शिया समूह है जिसे ईरान द्वारा वित्तपोषित, प्रशिक्षित और समर्थित किया जाता है।
2017 तक, असद शासन ने रूस और हिजबुल्लाह के सैन्य समर्थन से सीरिया के प्रमुख शहरों पर नियंत्रण हासिल कर लिया था।
विद्रोही सीरिया के इदलिब क्षेत्र तक ही सीमित थे और तुर्की सेना द्वारा संरक्षित थे।
अल-कायदा की विचारधारा से प्रभावित विद्रोही संगठन तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने सीरिया के इदलिब क्षेत्र में सिमट कर रह गया।
लंबे समय तक चले रूसी-यूक्रेन युद्ध के कारण, असद शासन को समर्थन देने की रूसी क्षमता काफ़ी कमज़ोर हो गई थी।
इज़राइल-हिज़्बुल्लाह युद्ध ने भी हिज़्बुल्लाह को सीरिया से अपने लड़ाकों को वापस लेबनान ले जाने के लिए मजबूर किया।
अपने प्रमुख सहयोगियों के कम होते सैन्य समर्थन के कारण बशर शासन काफी कमजोर हो गई थी।
इसका फ़ायदा उठाते हुए, हयात तहरीर अल-शाम समूह ने 27 नवंबर को असद सरकार के ख़िलाफ़ सैन्य हमला शुरू किया और जल्दी ही सीरिया के प्रमुख शहरों अलेप्पो, हमा और अंत में 8 दिसंबर को दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया।
इस्लामिक आतंकवादी समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) की स्थापना 2011 में सीरिया में अल-कायदा के सहयोगी के रूप में अबू मोहम्मद अल-जोलानी द्वारा जबात अल-नुसरा के रूप में की गई थी। यह बशर अल-असद के शासन का विरोधी गुट था।
जुलाई 2016 में, अल-जोलानी ने जबात अल-नुसरा के विघटन कर एक नए समूह, जबात फतह अल-शाम की स्थापना की घोषणा की।
अल-जोलानी ने सार्वजनिक रूप से आतंकवादी समूह अल-कायदा से खुद को अलग भी कर लिया।
जनवरी 2017 में, सीरिया में कई अन्य इस्लामी समूहों ने जबात फतह अल-शाम के साथ विलय कर हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) की स्थापना की।
सुन्नी इस्लामी समूह,एचटीएस सीरिया में इस्लामी शासन स्थापित करने, ईरान समर्थित शिया मिलिशिया को खदेड़ने और यरुशलम को इजरायल से मुक्त कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
समूह के इस दावे के बावजूद कि इसका अल-कायदा से कोई लेना-देना नहीं है, कई देशों का मानना है कि इसका अभी भी अल-कायदा से संबंध है और इसे एक कट्टर इस्लामी समूह के रूप में देखा जाता है।
एचटीएस को संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, तुर्की और अन्य द्वारा आतंकवादी समूह घोषित किया गया है।
सीरियाई अरब गणराज्य या सीरिया, पश्चिम एशिया के भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है।
1946 में फ्रांसीसी सैनिकों की वापसी के बाद इसे अपनी स्वतंत्रता मिली।
1958 में, सीरिया और मिस्र ने मिलकर संयुक्त अरब गणराज्य नामक एक राजनीतिक संघ का गठन किया, जो सितंबर 1968 में समाप्त हो गया।
1967 के छह दिवसीय इज़राइल-अरब युद्ध के दौरान इज़राइल ने सीरिया के गोलान हाइट्स पर कब्ज़ा कर लिया।
राजधानी: दमिश्क, जिसे पूर्व का मोती भी कहा जाता है।