हर साल 26 सितंबर को परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, "यह दिन लोगों के बीच परमाणु हथियारों के खतरे और पृथ्वी से परमाणु हथियारों को खत्म करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करने का एक अवसर है।"
दिवस की पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 28 सितंबर को परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने के लिए दिसंबर 2013 में एक प्रस्ताव पारित किया था ।
26 सितंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क में परमाणु निरस्त्रीकरण पर एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की थी।इस दिन के महत्व को चिह्नित करने के लिए 26 सितंबर को परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में चुना गया।
परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस, 2014 में मनाया गया था।
परमाणु बम का वैज्ञानिक पहलू
- परमाणु बमों के लिए विखंडनीय परमाणु पदार्थ की आवश्यकता होती है। विखंडनीय परमाणु एक प्रकार का न्यूक्लाइड है जो कम ऊर्जा वाले थर्मल न्यूट्रॉन के टकराने बाद विखंडित हो जाते हैं । यहां, विखंडन का अर्थ है कम ऊर्जा वाले थर्मल न्यूट्रॉन की चपेट में आने के बाद एक परमाणु को दो भागों में विभाजित होना। साथ ही जबरदस्त मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन और अतिरिक्त न्यूट्रॉन निकलते हैं। ये अतिरिक्त न्यूट्रॉन अन्य विखंडनीय परमाणु से टकराते हैं और फिर वही प्रक्रिया दोहराई जाती है, जिसे श्रृंखला प्रतिक्रिया (chain reaction)कहा जाता है।
- यदि श्रृंखला प्रतिक्रिया को नियंत्रित किया जाता है, तो इसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है; यदि श्रृंखला प्रतिक्रिया अनियंत्रित हो तो यह परमाणु बम बन जाती है।
- वर्तमान में, तीन ज्ञात विखंडनीय पदार्थ ,समृद्ध यूरेनियम 233, समृद्ध यूरेनियम 235 और समृद्ध प्लूटोनियम 239 हैं।
- विखंडनीय पदार्थ की खोज का श्रेय जर्मन वैज्ञानिक ओट्टो हान को दिया जाता है। साथी वैज्ञानिक फ़्रिट्ज़ स्ट्रैसमैन के साथ काम करते हुए, ओटो हान ने यूरेनियम के विखंडन की खोज की थी । ओटो हान को परमाणु रसायन विज्ञान का जनक भी कहा जाता है और उन्हें 1944 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार मिला था।
- हालाँकि, 'परमाणु विखंडन' शब्द एक जर्मन महिला भौतिक विज्ञानी, लिसे मीटनर द्वारा गढ़ा गया था।
प्रोजेक्ट मैनहट्टन
- इस डर से कि एडॉल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी जर्मनी एक गुप्त हथियार विकसित कर रहा है जो दूसरे विश्व युद्ध के भाग्य को बदल सकता है, संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाली मित्र देशों की शक्ति ने परमाणु हथियार विकसित करने के लिए एक गुप्त परियोजना शुरू की।
- इस परियोजना का नाम प्रोजेक्ट मैनहट्टन रखा गया। प्रोजेक्ट मैनहट्टन का नेतृत्व रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने किया था।
- इस परियोजना ने निर्मित पहले परमाणु बम का परीक्षण 16 जुलाई, 1945 को संयुक्त राज्य अमेरिका के जोर्नाडा डेल मुर्टो में किया गया था। परीक्षण का कोडनेम 'ट्रिनिटी' रखा गया था।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा जापान के खिलाफ परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया गया था।
- 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा में "लिटिल बॉय" नामक एक समृद्ध यूरेनियम बम गिराया गया था।
- दूसरा, प्लूटोनियम आधारित बम जिसका कोडनेम 'फैट मैन' है जिसे , 9 अगस्त को जापानी शहर नागासाकी पर अमेरिकी वायु सेना द्वारा गिराया गया था।
- कहा जाता है कि दो परमाणु बमों ने तुरंत 2 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली।
- बम से हुई तबाही ने विश्व में हथियारों की होड़ शुरू हो गई ।कई देशों ने परमाणु बम बनाने के लिए अनुसंधान और विकास शुरू कर दिया।
विश्व में परमाणु हथियारों का विकास
- सोवियत संघ (अब रूस) परमाणु हथियार का परीक्षण करने वाला दूसरा देश था। इसने अपना पहला परमाणु हथियार परीक्षण 29 अगस्त 1945 को किया था।
- यूनाइटेड किंगडम ने 3 अक्टूबर 1952 को अपने परमाणु बम का परीक्षण किया।
- फ्रांस ने 13 फरवरी 1960 को अपने परमाणु बम का परीक्षण किया।
- चीन ने 16 अक्टूबर 1964 को अपने परमाणु हथियार का परीक्षण किया।
- भारत ने अपना परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण में किया था। हालाँकि, सरकार ने अपने परमाणु परीक्षण को शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट बताया। इस परीक्षण का कोडनेम 'स्माइलिंग बुद्धा' रखा गया था।
- बाद में, भारत ने 11 मई 1998 को पोखरण में एक और परमाणु परीक्षण किया, जिसे प्रोजेक्ट शक्ति नाम दिया गया। भारत ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि उसने परमाणु हथियार संचालित किया है।
- भारत में हर साल 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को अपना परमाणु परीक्षण किया।
- उत्तर कोरिया ने 2006 में अपने परमाणु हथियार का परीक्षण किया।
- इज़राइल के पास भी परमाणु हथियार हैं, हालाँकि उसने कभी भी सार्वजनिक रूप से उनका परीक्षण नहीं किया है।
इस प्रकार, वर्तमान में, 8 देशों के पास परमाणु हथियारों है।
परमाणु निरस्त्रीकरण का प्रयास
दुनिया में परमाणु हथियारों की होड़ और इससे होने वाली तबाही के बारे में चिंतित होकर, इसे रोकने की मांग भी ज़ोर पकरना शुरू हो गया बढ़ रही थी।
स्थिति से निपटने के लिए विश्व में दोतरफा दृष्टिकोण अपनाया गया। पहला कदम परमाणु बम के परीक्षण को सीमित करना और अंततः उस पर प्रतिबंध लगाना था। दूसरा था परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने का प्रयास करना।
परमाणु बमों का परीक्षण रोकने के उपाय
- परमाणु हथियारों के परीक्षण को सीमित करने की दिशा में पहला ठोस कदम 1963 में 'वायुमंडल, बाहरी अंतरिक्ष और पानी के अंदर परमाणु हथियार परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि, जिसे आंशिक परीक्षण प्रतिबंध संधि के रूप में भी जाना जाता है' पर हस्ताक्षर करना था। हालाँकि, इसने परमाणु हथियारों के भूमिगत परीक्षण की अनुमति दी।
- परमाणु हथियारों के परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए, एक व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी ) पर हस्ताक्षर किए गए, जो 1996 में लागू हुई। सीटीबीटी सभी तरह के परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाता है, चाहे वह सैन्य या शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही क्यों न हों । वर्तमान में, 187 देशों ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर किए हैं।
- भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया तीन ऐसे देश हैं जिनके पास परमाणु हथियार क्षमता है लेकिन उन्होंने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।