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भारत, 9 सितंबर से 10 सितंबर तक जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए तैयार

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
India is All Set for Hosting G20 Summit from 9th Sept to 10th Sept Summit and Conference 12 min read

भारत 9 सितंबर से 10 सितंबर तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में जी20 के 18 वें शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। भारत की जी-20 की अध्यक्षता ने उसकी वैश्विक नेतृत्व भूमिका में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है।

भारत, पहली बार  अध्यक्ष बनने के साथ,समकालीन जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ चर्चा और पहल कर रहा है।

भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान समूचे विश्व का ध्यान समावेशी विकास, डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन और समान स्वास्थ्य पहुंच जैसे विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर केंद्रित करा रहा है।


भारत की जी-20 अध्यक्षता का विषय

"वसुधैव कुटुंबकम" या "एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य" का थीम (विषय) - महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है। यह विषय अनिवार्य रूप से, सभी जीव - मानव, पशु-पक्षी,  पेंड़-पौधे और सूक्ष्मजीवों के  मूल्यों के साथ-साथ पृथ्वी ग्रह और व्यापक ब्रह्मांड में उनके अंतर्संबंधों की पुष्टि करता है।

यह विषय  पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और जिम्मेदार विकल्पों के साथ LiFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के लिए व्यक्तिगत जीवन शैली के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास से  भी संबंधित, मामलों पर भी प्रकाश डालता है, जिससे वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तनकारी कार्यों को बढ़ावा मिलता है जिसके परिणामस्वरूप एक स्वच्छ, हरित और नीला भविष्य का विकास सम्भव होता है।

 

जी-20 शिखर सम्मेलन का लोगो

जी-20 शिखर सम्मेलन का लोगो भारतीय राष्ट्रीय ध्वज केसरिया, सफेद और हरे रंग के जीवंत रंग से प्रेरणा लेता है।

यह पृथ्वी ग्रह को भारत के राष्ट्रीय फूल कमल से जोड़ता है जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है। पृथ्वी, जीवन के प्रति भारत के ग्रह-समर्थक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य रखता है।

जी-20 का लोगो "भारत" है, जो देवनागरी लिपि में लिखा गया है।

 

बीस देशों का समूह - जी-20

जी-20 समूह के सदस्य :

जी-20  के समूह में एक यूरोपीय संघ के साथ 19 देश शामिल हैं जिसमें- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका आते हैं। ।

जी-20 के सदस्य देश सामूहिक रूप से वर्तमान में विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 80% से अधिक, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक जनसंख्या का 60% हिस्सा रखते हैं।

उत्पत्ति और विकास:

  • G20 की स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बर्लिन, जर्मनी में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के एक मंच के रूप में की गई थी।
  • बाद में G20 को राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर तक उन्नत किया गया और इसे "अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच" नामित किया गया।
  • पहला G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन ('वित्तीय बाजार और विश्व अर्थव्यवस्था पर शिखर सम्मेलन') नवंबर 2008 में वाशिंगटन डीसी में आयोजित किया गया था।
  • वर्ष 2011 से, जी20 शिखर सम्मेलन सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों  के नेतृत्व में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता रहा है।

उद्देश्य:

जी-20 के कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत विकास, के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सदस्य देशों के बीच नीति समन्वय
  • वित्तीय विनियमों को बढ़ावा देना जो जोखिमों को कम करते हैं और भविष्य के वित्तीय संकटों के प्रभाव को सीमित करते हैं। 
  • एक नई और सतत अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय वास्तुकला का निर्माण करना।

संगठनात्मक संरचना:

  • जी-20 के पास कोई चार्टर या सचिवालय नहीं है। जी 20 मे अध्यक्ष पद समूह देशों के मध्य एक प्रक्रिया के तहत रोटेट होता रहता है। अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 5 समूहों (प्रत्येक में 4 से अधिक देश नहीं होंगे)  में वर्गीकृत किया जाता है। 
  • भारत के समूह में 3 अन्य देश तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और रूस शामिल हैं। ट्रोइका- अध्यक्षता धारण करने वाला देश पिछले वर्ष के अध्यक्ष और अगले वर्ष के होने वाले अध्यक्ष देशों के साथ सामंजस्य स्थापित करके कार्य करता है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को ट्रोइका कहते हैं। जी-20 प्रक्रिया का नेतृत्व सदस्य देशों के शेरपाओं द्वारा किया जाता है। वर्तमान में भारत के शेरपा अमिताभ कांत हैं।

जी-20 का कार्य:

जी-20 का कार्य दो ट्रैक में विभाजित है: फाइनेंस ट्रैक और शेरपा ट्रैक।
दोनों ट्रैकों के भीतर, विषयगत रूप से निर्धारित कार्य समूह हैं जिनमें सदस्यों के संबंधित मंत्रालयों के साथ-साथ आमंत्रित/अतिथि देशों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं।

कार्य समूह प्रत्येक अध्यक्ष पद के पूरे कार्यकाल के दौरान नियमित रूप से मिलते हैं। इसके एजेंडा,  वर्तमान आर्थिक विकास के साथ-साथ पिछले वर्षों में सहमत कार्यों और लक्ष्यों से भी प्रभावित होते है। संस्थागत निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए जी-20 के पास अपना बहु-वर्षीय अधिदेश है।

गैर-सदस्य:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र (यूएन), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी), आसियान, अफ्रीकी संघ और विकास कार्यक्रम एनईपीएडी।

मौजूदा अध्यक्ष  जी20 बैठकों और शिखर सम्मेलनों के लिए अन्य देशों को आमंत्रित कर सकते हैं। भारत ने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के लिए बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को आमंत्रित किया है।

नोट: जी-20 2022 शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया की अध्यक्षता में बाली इंडोनेशिया में आयोजित किया गया था। पहला शिखर सम्मेलन नवंबर 2008 में वाशिंगटन में अमेरिका की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था।


 

G-20 शिखर सम्मेलन वर्ष

स्थान और मेज़बान देश

2008

वाशिंगटन, यूएसए

2009

लंदन, यूके

2009

पिट्सबर्ग, संयुक्त राज्य अमेरिका

2010

टोरंटो कनाडा

2010

सियोल, कोरिया गणराज्य

2011

कान्स, फ़्रांस

2012

लॉस काबोस, मेक्सिको

2013

सेंट पेट्सबर्ग, रूस

2014

ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया

2015

अंताल्या, तुर्की

2016

हांग्जो, चीन

2017

हैमबर्ग, जर्मनी

2018

ब्यूनोस एयर्स, अर्जेंटीना

2019

ओसाका, जापान

2020

रियाद (सऊदी अरब)

2021

रोम, इटली

2022

बाली, इंडोनेशिया

2023

नई दिल्ली, भारत

 

G-20 के निर्माण के पीछे के कारण

पुरानी वैश्विक आर्थिक संरचना

G-20 से पहले सबसे शक्तिशाली अंतर्राष्ट्रीय समूह G-7 अस्तित्व में था। जिसमें फ्रांस, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जापान और कनाडा, 7 औद्योगिक रूप से सबसे उन्नत पश्चिमी लोकतांत्रिक देश शामिल थे। इसमें दक्षिण कोरिया जैसे नव औद्योगीकृत देशों या भारत, तुर्की, सऊदी अरब आदि जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। यह महसूस किया गया कि एक नए अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता थी जो वर्तमान वैश्विक आर्थिक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करे, जो अधिक संतुलित और समावेशी हो। इस प्रकार जी-20 का जन्म हुआ।
 

भारत की विदेश नीति में 2023 के G-20 शिखर सम्मेलन का महत्व

वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका बढ़ाने का अवसर:

G-20, मेजबान देश को अपनी वैश्विक  प्रसिद्धि बढ़ाने और वैश्विक मंच पर अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है क्योंकि अब G-20 को महत्वपूर्ण आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में मान्यता प्राप्त  है। जी-20, सतत विकास, विकासशील देशों के लिए ऋण राहत, पर्यावरणीय मुद्दों  इत्यादि  पर वैश्विक एजेंडे को आकार देने और प्रभावित करने के लिएभारत को यह एक अवसर प्रदान करेगा।

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ:

भारत ने हमेशा वैश्विक दक्षिण (एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों) के हितों का समर्थन किया है। भारत, दक्षिणी देशों का वैश्विक नेता बनना चाहता है लेकिन उसे चीन से महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चीन भी  वैश्विक रूप में दक्षिणी देशों के नेतृत्व का दावा करता है।

G-20, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और ऊर्जा इत्यादि जैसे दक्षिणी देशों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाकर भारत को अपने नेतृत्व के दावों पर जोर देने का अवसर प्रदान करता है, जो विशेष रूप से दक्षिणी देशों को प्रभावित करतेहैं।

भारत की विदेश नीति:

वैश्विक समुदाय को जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सुधार, महामारी (कोविड-19) और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव (रूस-यूक्रेन युद्ध) जैसे मुद्दों से निपटने के लिए एकल बहुपक्षीय की आवश्यकता है। इसलिए, भारत ने अपनी अध्यक्षता में 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए उपयुक्त सुधारित बहुपक्षवाद को अपनी  प्राथमिकताओं में से एक के रूप में रखा है।

 

 

FAQ

जी-20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक बहुपक्षीय संगठन है। बहुपक्षीय संगठन में तीन या अधिक देश शामिल होते हैं जो साझे उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक साथ एक मंच पर आते हैं। जी-20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। यूरोपीय संघ 27 यूरोपीय देशों का एक समूह है।

18वें जी-20 राष्ट्र प्रमुखों और सरकारों का शिखर सम्मेलन -2023 की बैठक 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली, भारत में आयोजित की जाएगी। बैठक का स्थान प्रगति मैदान, नई दिल्ली में स्थित भारत मंडपम होगा।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बैठक में शामिल नहीं होंगें, क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि उन्हें यूक्रेन में रूसी सैन्य अभियान पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रूस का प्रतिनिधित्व करेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग भी बैठक में शामिल नहीं होंगें। हालांकि उनकी अनुपस्थिति के लिए चीन की तरफ से कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है। चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज कोविड (कोरोना) पॉजिटिव पाए गए हैं, इसलिए वे भी भारत नहीं आ रहे हैं। स्पेन का प्रतिनिधित्व अधिकारी प्रथम उपाध्यक्ष नादिया काल्विनो और विदेश मंत्री जोस मैनुअल अलबारेस करेंगे।

यूरोपीय संघ 27 यूरोपीय देशों का एक समूह है। इसकी अपनी सांसद और राष्ट्रपति है। नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन में, यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल करेंगे।

18वें जी-20 शिखर सम्मेलन की थीम "वसुधैव कुटुम्बकम" है, या "एक पृथ्वी - एक परिवार - एक भविष्य"। यह प्राचीन संस्कृत ग्रंथ महा उपनिषद से लिया गया है।

जी-20 शिखर सम्मेलन का लोगो भारतीय राष्ट्रीय ध्वज - केसरिया, सफेद और हरा रंग से प्रेरणा लेता है। यह पृथ्वी को भारत के राष्ट्रीय फूल कमल के साथ जोड़ता है, जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है। पृथ्वी जीवन के प्रति भारत के ग्रह-समर्थक दृष्टिकोण को प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य में दर्शाता है। जी-20 का लोगो "भारत" है, जो देवनागरी लिपि में लिखा गया है।

भारत द्वारा, नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए, बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को आमंत्रित किया गया है।

जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 में भाग लेने वाले जी-20 के सदस्य देश हैं - अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ।

अन्य बहुपक्षीय संगठनों के विपरीत, जी-20 का कोई स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं है।

प्रारंभिक अवस्था में, जी-20, सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों का एक मंच था। पहली बैठक 1999 में बर्लिन, जर्मनी में आयोजित की गई थी। पहला जी-20 के सदस्य देश के नेताओं का शिखर सम्मेलन (‘वित्तीय बाजारों और विश्व अर्थव्यवस्था पर शिखर सम्मेलन’) नवंबर 2008 में वाशिंगटन डीसी (संयुक्त राज्य अमेरिका) में आयोजित किया गया था।

जी-20 की अध्यक्षता प्रत्येक वर्ष इसके सदस्यों के बीच घूमती रहती है, जिस देश के पास अध्यक्षता होती है वह अपने पूर्ववर्ती और उत्तराधिकारी देशों के साथ मिलकर काम करता है, जिसे ट्रोइका कहा जाता है, ताकि एजेंडे की निरंतरता सुनिश्चित की जा सके। इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील ट्रोइका देश हैं। 2022 में इंडोनेशिया अध्यक्ष था, भारत वर्तमान अध्यक्ष है और 2024 में ब्राजील अगला अध्यक्ष होगा।

उत्तर: भारत ने 1 दिसंबर 2022 को औपचारिक रूप से इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की और 30 नवंबर 2023 तक अध्यक्षता धारण करेगा या पद पर बना रहेगा।

उत्तर: अगला यानी कि 19वां जी-20 राष्ट्र प्रमुखों और सरकारों का शिखर सम्मेलन 2024 ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के अंत में प्रतीकात्मक रूप से जी-20 अध्यक्षता को ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लुला दा सिल्वा को सौंपेंगे। हालांकि, आधिकारिक तौर पर ब्राज़ील 1 दिसंबर 2023 से 30 नवंबर 2024 तक जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा। "जी20 शिखर सम्मेलन" के बारे से संबंधित अन्य जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें | जी20 देशों को समर्पित एक कला प्रदर्शनी पटना में शुरू हुई. जी20 कल्चर वर्किंग ग्रुप (सीडब्ल्यूजी) की बैठक वाराणसी में शुरू। केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग को जी20 महामारी कोष से 25 मिलियन डॉलर का अनुदान मिलता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे.
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