भारत 9 सितंबर से 10 सितंबर तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में जी20 के 18 वें शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। भारत की जी-20 की अध्यक्षता ने उसकी वैश्विक नेतृत्व भूमिका में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है।
भारत, पहली बार अध्यक्ष बनने के साथ,समकालीन जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ चर्चा और पहल कर रहा है।
भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान समूचे विश्व का ध्यान समावेशी विकास, डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन और समान स्वास्थ्य पहुंच जैसे विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर केंद्रित करा रहा है।
"वसुधैव कुटुंबकम" या "एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य" का थीम (विषय) - महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है। यह विषय अनिवार्य रूप से, सभी जीव - मानव, पशु-पक्षी, पेंड़-पौधे और सूक्ष्मजीवों के मूल्यों के साथ-साथ पृथ्वी ग्रह और व्यापक ब्रह्मांड में उनके अंतर्संबंधों की पुष्टि करता है।
यह विषय पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और जिम्मेदार विकल्पों के साथ LiFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के लिए व्यक्तिगत जीवन शैली के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास से भी संबंधित, मामलों पर भी प्रकाश डालता है, जिससे वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तनकारी कार्यों को बढ़ावा मिलता है जिसके परिणामस्वरूप एक स्वच्छ, हरित और नीला भविष्य का विकास सम्भव होता है।
जी-20 शिखर सम्मेलन का लोगो भारतीय राष्ट्रीय ध्वज केसरिया, सफेद और हरे रंग के जीवंत रंग से प्रेरणा लेता है।
यह पृथ्वी ग्रह को भारत के राष्ट्रीय फूल कमल से जोड़ता है जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है। पृथ्वी, जीवन के प्रति भारत के ग्रह-समर्थक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य रखता है।
जी-20 का लोगो "भारत" है, जो देवनागरी लिपि में लिखा गया है।
जी-20 के समूह में एक यूरोपीय संघ के साथ 19 देश शामिल हैं जिसमें- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका आते हैं। ।
जी-20 के सदस्य देश सामूहिक रूप से वर्तमान में विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 80% से अधिक, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक जनसंख्या का 60% हिस्सा रखते हैं।
उत्पत्ति और विकास:
जी-20 के कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
जी-20 का कार्य दो ट्रैक में विभाजित है: फाइनेंस ट्रैक और शेरपा ट्रैक।
दोनों ट्रैकों के भीतर, विषयगत रूप से निर्धारित कार्य समूह हैं जिनमें सदस्यों के संबंधित मंत्रालयों के साथ-साथ आमंत्रित/अतिथि देशों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं।
कार्य समूह प्रत्येक अध्यक्ष पद के पूरे कार्यकाल के दौरान नियमित रूप से मिलते हैं। इसके एजेंडा, वर्तमान आर्थिक विकास के साथ-साथ पिछले वर्षों में सहमत कार्यों और लक्ष्यों से भी प्रभावित होते है। संस्थागत निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए जी-20 के पास अपना बहु-वर्षीय अधिदेश है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र (यूएन), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी), आसियान, अफ्रीकी संघ और विकास कार्यक्रम एनईपीएडी।
मौजूदा अध्यक्ष जी20 बैठकों और शिखर सम्मेलनों के लिए अन्य देशों को आमंत्रित कर सकते हैं। भारत ने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के लिए बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को आमंत्रित किया है।
नोट: जी-20 2022 शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया की अध्यक्षता में बाली इंडोनेशिया में आयोजित किया गया था। पहला शिखर सम्मेलन नवंबर 2008 में वाशिंगटन में अमेरिका की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था।
G-20 शिखर सम्मेलन वर्ष |
स्थान और मेज़बान देश |
2008 |
वाशिंगटन, यूएसए |
2009 |
लंदन, यूके |
2009 |
पिट्सबर्ग, संयुक्त राज्य अमेरिका |
2010 |
टोरंटो कनाडा |
2010 |
सियोल, कोरिया गणराज्य |
2011 |
कान्स, फ़्रांस |
2012 |
लॉस काबोस, मेक्सिको |
2013 |
सेंट पेट्सबर्ग, रूस |
2014 |
ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया |
2015 |
अंताल्या, तुर्की |
2016 |
हांग्जो, चीन |
2017 |
हैमबर्ग, जर्मनी |
2018 |
ब्यूनोस एयर्स, अर्जेंटीना |
2019 |
ओसाका, जापान |
2020 |
रियाद (सऊदी अरब) |
2021 |
रोम, इटली |
2022 |
बाली, इंडोनेशिया |
2023 |
नई दिल्ली, भारत |
G-20 से पहले सबसे शक्तिशाली अंतर्राष्ट्रीय समूह G-7 अस्तित्व में था। जिसमें फ्रांस, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जापान और कनाडा, 7 औद्योगिक रूप से सबसे उन्नत पश्चिमी लोकतांत्रिक देश शामिल थे। इसमें दक्षिण कोरिया जैसे नव औद्योगीकृत देशों या भारत, तुर्की, सऊदी अरब आदि जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। यह महसूस किया गया कि एक नए अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता थी जो वर्तमान वैश्विक आर्थिक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करे, जो अधिक संतुलित और समावेशी हो। इस प्रकार जी-20 का जन्म हुआ।
G-20, मेजबान देश को अपनी वैश्विक प्रसिद्धि बढ़ाने और वैश्विक मंच पर अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है क्योंकि अब G-20 को महत्वपूर्ण आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में मान्यता प्राप्त है। जी-20, सतत विकास, विकासशील देशों के लिए ऋण राहत, पर्यावरणीय मुद्दों इत्यादि पर वैश्विक एजेंडे को आकार देने और प्रभावित करने के लिएभारत को यह एक अवसर प्रदान करेगा।
भारत ने हमेशा वैश्विक दक्षिण (एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों) के हितों का समर्थन किया है। भारत, दक्षिणी देशों का वैश्विक नेता बनना चाहता है लेकिन उसे चीन से महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चीन भी वैश्विक रूप में दक्षिणी देशों के नेतृत्व का दावा करता है।
G-20, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और ऊर्जा इत्यादि जैसे दक्षिणी देशों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाकर भारत को अपने नेतृत्व के दावों पर जोर देने का अवसर प्रदान करता है, जो विशेष रूप से दक्षिणी देशों को प्रभावित करतेहैं।
वैश्विक समुदाय को जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सुधार, महामारी (कोविड-19) और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव (रूस-यूक्रेन युद्ध) जैसे मुद्दों से निपटने के लिए एकल बहुपक्षीय की आवश्यकता है। इसलिए, भारत ने अपनी अध्यक्षता में 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए उपयुक्त सुधारित बहुपक्षवाद को अपनी प्राथमिकताओं में से एक के रूप में रखा है।