विश्व में अंतर्राष्ट्रीय आलू दिवस और भारत में हिंदी पत्रकारिता दिवस 30 मई को मनाया जाता है। इस वर्ष पहली बार अंतर्राष्ट्रीय आलू दिवस मनाया जा रहा है।
पहला अंतर्राष्ट्रीय आलू दिवस 30 मई 2024 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 मई को अंतर्राष्ट्रीय आलू दिवस के रूप में मनाने के लिए 8 दिसंबर 2023 को एक प्रस्ताव पारित किया था।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र ने यह प्रस्ताव पारित किया।
जुलाई 2023 में खाद्य और कृषि संगठन ने रोम, इटली में अपनी वार्षिक बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें संयुक्त राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय आलू दिवस मनाने का अनुरोध किया गया था।
इससे पहले खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2008 को अंतर्राष्ट्रीय आलू वर्ष घोषित किया था।
आलू एक कंद (भूमिगत तना) है और इसका वैज्ञानिक नाम सोलेनम ट्यूबरोसम है।
चावल और गेहूं के बाद आलू दुनिया में तीसरी सबसे अधिक उपलब्ध होने वाली खाद्य फसल है। इसकी खेती दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में की जाती है और दुनिया में लगभग एक अरब लोग इसका सेवन करते हैं।
आलू दुनिया के कई गरीबों के लिए पोषक तत्वों और भोजन का मुख्य स्रोत है। यह फसल किसी भी जलवायु परिस्थिति में उगाई जा सकती है।
यह जलवायु के अनुकूल भी है क्योंकि वे अन्य फसलों की तुलना में कम स्तर का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पैदा करते हैं।
पहले अंतर्राष्ट्रीय आलू दिवस 2024 का विषय है :विविधता का दोहन, आशा का पोषण ।
पेरू में एंडीज़ पर्वत को आलू की खेती का उद्गम स्थल माना जाता है। बाद में यह दुनिया के सभी हिस्सों में फैल गया।
भारत में आलू पुर्तगालियों द्वारा लाये गये थे।
भारत दुनिया में चीन के बाद आलू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
उत्तर प्रदेश भारत में आलू का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो देश के कुल उत्पादन में लगभग 29.65 प्रतिशत का योगदान देता है।
उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक पश्चिम बंगाल उसके बाद बिहार, गुजरात और मध्य प्रदेश हैं।
भारत में हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 30 मई 1826 को भारत में पहला हिन्दी भाषा का समाचार पत्र 'उदंत मार्तनाड' प्रकाशित हुआ था ।
उदन्त मार्तण्ड की शुरुआत पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कोलकाता (तब कलकत्ता) में की थी।
पंडित जुगल किशोर शुक्ल प्रत्येक मंगलवार को प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड के संपादक और प्रकाशक थे।
हालाँकि पाठकॉ की कमी और वित्तीय समस्याओं के कारण 4 दिसंबर 1826 को उदंत मार्तंड को बंद कर दिया गया।
उदंत मार्तंड का प्रकाशन एक ऐतिहासिक अवसर था क्योंकि यह हिंदी में समाचार पत्र प्रकाशित करने का पहला प्रयास था जब अधिकांश समाचार पत्र अंग्रेजी, उर्दू या बंगाली भाषा में प्रकाशित होते थे।
अपने अग्रणी प्रयास के लिए, पंडित जुगल किशोर शुक्ला, जो कानपुर के रहने वाले थे और एक वकील थे, को भारत में हिंदी पत्रकारिता का जनक माना जाता है।