2 जून 2024 को हैदराबाद शहर आधिकारिक तौर पर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी नहीं रह गया। 2 जून 2014 को, हैदराबाद को दस वर्षों के लिए आंध्र प्रदेश और नव निर्मित राज्य तेलंगाना की संयुक्त राजधानी बना दिया गया था। 2014 में आंध्र प्रदेश को विभाजित करके तेलंगाना को भारत के 29वें राज्य के रूप में बनाया गया था।
तेलंगाना राज्य का निर्माण संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत संसद द्वारा पारित आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 द्वारा किया गया था।
इस अधिनियम के तहत संयुक्त आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद को तेलंगाना को दे दिया गया। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 की धारा 5 (1) में प्रावधान है कि हैदराबाद 2 जून 2014 से शुरू होकर दस साल की अवधि के लिए दोनों राज्यों की साझा राजधानी बना रहेगा।
अधिनियम की धारा 5(2) में प्रावधान है कि इस अवधि के बाद आंध्र प्रदेश के लिए नई राजधानी स्थापित की जाएगी, और हैदराबाद तेलंगाना की एकमात्र राजधानी बन जाएगी।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के पारित होने के बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने "आंध्र प्रदेश राज्य के लिए नई राजधानी के विकल्पों का अध्ययन" करने के लिए एक समिति नियुक्त की। समिति के अध्यक्ष के.सी.शिवरामकृष्णन थे। समिति ने अमरावती को आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनाने का सुझाव दिया।
समिति की सिफारिश को स्वीकार करते हुए, आंध्र प्रदेश विधान सभा ने आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम (एपीसीआरडीए), 2014 पारित किया, जिसने अमरावती को आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बना दिया। उस समय राज्य में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सत्ता में थी।
2019 में आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेडी की सरकार सत्ता में आई। इनके कार्यकाल के दौरान आंध्र विधानसभा ने आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम (एपीसीआरडीए), 2014 को निरस्त कर दिया और आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक, 2020 पारित किया।
इस विधेयक में विशाखापत्तनम को आंध्र प्रदेश की कार्यकारी राजधानी, अमरावती को इसकी विधायी राजधानी और कुर्नूल को न्यायिक राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया ।
सरकार के अनुसार, राज्य के लिए तीन अलग-अलग राजधानियाँ रखने का कारण राज्य के कई क्षेत्रों के विकास की अनुमति देना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना था।
इस विधेयक को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। 2022 में अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया क्योंकि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 में आंध्र प्रदेश के लिए केवल एक राजधानी का प्रावधान था और आंध्र प्रदेश के विधान सभा को इसपर कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं था। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में राज्य सरकार को छह महीने के भीतर अमरावती को एकमात्र राजधानी के रूप में विकसित करने का आदेश भी दिया था ।
आंध्र प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और मामला कोर्ट में है।