वैश्विक जलवायु सम्मेलन, COP-28 का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक दुबई में किया जाएगा।
- उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्री और जलवायु परिवर्तन के लिए संयुक्त अरब अमीरात के विशेष दूत डॉ. सुल्तान अहमद अल जाबेर को COP28 का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
- सुल्तान अहमद अल जाबेर सीओपी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने वाले पहले सीईओ भी हैं। सुल्तान अल जाबेर दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक, अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) के प्रमुख हैं।
- इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
- सम्मेलन में 200 देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है जिसमें, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव, जीवाश्म ईंधन के उपयोग, मीथेन और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए वित्तीय सहायता और विकसित देशों से विकासशील देशों को दिए जाने वाले मुआवजे जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा।
सम्मेलन में चर्चा के प्रमुख बिंदु -
जलवायु संकट का समाधान निकालने का प्रयास
- सम्मेलन में विकासशील और कम विकसित देशों को प्रदान किये जाने वाले आर्थिक सहायता के मुद्दे को संबोधित करने का प्रयास किया जाएगा, और ऐसे देशों का पक्ष भी रखा जाएगा जो जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद जलवायु संकट का सर्वाधिक खामियाजा भुगत रहे हैं।
अक्षय ऊर्जा को बढ़ाने पर जोर
- अमेरिका, यूरोपीय संघ (ईयू) और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के नेतृत्व में 60 से अधिक देश अब अक्षय ऊर्जा को तीन गुना करने और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने की प्रतिबद्धता का समर्थन कर रहे हैं।
- जी20 देशों ने भारत की अध्यक्षता में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का समर्थन किया है, वहीं संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की मेजबानी कर रहे यूएई ने सीओपी 28 में इस पर वैश्विक सहमति की वकालत की है।
सीओपी-27
- सीओपी-27 का आयोजन 6-18 नवंबर, 2022 तक मिस्र के शर्म अल-शेख में किया गया था I
- COP-27 सम्मेलन का आयोजन जर्मनी के बॉन स्थित संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) द्वारा किया गया था।
कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP)
- यहाँ COP का मतलब कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टी(सम्मेलन में साझेदार देश) हैं और 28 का मतलब 28वीं बैठक से है।
- यह UNFCCC सम्मेलन का सर्वोच्च निकाय है।
- पहला सीओपी 1995 में बर्लिन, जर्मनी में आयोजित किया गया था।
- यह प्रतिवर्ष जलवायु परिवर्तन पर एक सत्र का आयोजन करता है।
- COP का अध्यक्ष आमतौर पर मेज़बान देश का पर्यावरण मंत्री होता है। जिसे COP सत्र के उद्घाटन के तुरंत बाद चुना जाता है।
महत्त्वपूर्ण परिणामों के साथ COPs
वर्ष 1995: COP1 (बर्लिन, जर्मनी)
वर्ष 1997: COP 3 (क्योटो प्रोटोकॉल)
- क्योटो प्रोटोकॉल कानूनी रूप से विकसित देशों को उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों हेतु बाध्य करता है।
वर्ष 2002: COP 8 (नई दिल्ली, भारत) दिल्ली घोषणा।
- कम विकसित देशों की विकास आवश्यकताओं और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
वर्ष 2010: COP 16 (कैनकन)
- कैनकन समझौतों के परिणामस्वरूप, जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों की सहायता हेतु विकसित देशों की सरकारों द्वारा एक व्यापक पैकेज पेश किया गया था।
- हरित जलवायु कोष, प्रौद्योगिकी तंत्र और कैनकन अनुकूलन ढांँचे की स्थापना की गई।
वर्ष 2015: COP 21 (पेरिस समझौता)
- ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक समय से 2.0oC से नीचे रखना तथा उसके अंदर सीमित (1.5oC तक) करने का प्रयास करना।
- इसके लिए अमीर देशों को वर्ष 2020 के बाद भी सालाना 100 अरब डॉलर की फंडिंग प्रतिज्ञा बनाए रखने की आवश्यकता है।