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वाराणसी के तिरंगा बर्फी और ढलुआ मूर्ति धातुशिल्प को मिला जीआइ टैग

Utkarsh Classes Last Updated 18-04-2024
Baranasi's Tricolour Barfi and Dhalua idol metalcraft get GI tag State news 4 min read

16 अप्रैल 2024 को भारत की आजादी से जुड़ी वाराणसी की तिरंगा बर्फी को जीआई उत्पाद का दर्जा दिया गया है। साथ ही वाराणसी के एक अन्य उत्पाद ढलुआ मूर्ति धातु शिल्प (मेटल कास्टिंग क्राफ्ट) को भी जीआई श्रेणी में शामिल किया गया है। 16 अप्रैल 2024 को चेन्नई स्थित जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) रजिस्ट्री कार्यालय ने नए उत्पादों की लिस्ट जारी की है। 

उत्तर प्रदेश के कुल 75 उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग:  

  • इस टैग के बाद वाराणसी के इन उत्पादों को बाजार में अब एक विशेष पहचान मिलेगी। इस तरह बनारस क्षेत्र के कुल 34 उत्पादों और उत्तर प्रदेश में अब कुल 75 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। काशी को सर्वाधिक विविधता वाला जीआई शहर भी कहा जाता है।
  • यह किसी भू-भाग विशेष के नाम सर्वाधिक बौद्धिक संपदा अधिकार का रिकार्ड माना जा रहा है।
  • इसके अलावा बरेली जरदोजी, केन-बंबू क्राफ्ट, थारू इंब्रायडरी, पिलखुआ हैंडब्लाक प्रिंट टेक्सटाइल का भी जीआइ पंजीकरण जारी किया गया है। इसके साथ प्रदेश स्तर पर जीआइ उत्पादों की संख्या अब 75 हो गई है। इसमें 58 हस्तशिल्प और 17 कृषि एवं खाद्य उत्पाद हैं। यह किसी राज्य के नाम सर्वाधिक जीआइ टैग का रिकार्ड है।

वाराणसी के तिरंगा बर्फी के बारे में: 

  • देश की स्वतंत्रता के आंदोलन के समय क्रांतिकारियों की खुफिया मीटिंग व गुप्त सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए तिरंगा बर्फी का इजाद किया गया था।
  • इसमें केसरिया रंग के लिए केसर, हरे रंग के लिए पिस्ता और बीच में सफेद रंग के लिए खोया व काजू का उपयोग किया जाता है।

वाराणसी ढलुआ शिल्प के बारे में:

  • बनारस के काशीपुरा मोहल्ले में बनाया जाने वाले इस ढलुआ शिल्प का आज देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में पहचान मिली है। यहाँ बनने वाली मूर्तियों माँ अन्नपूर्णा, लक्ष्मी-गणेश, दुर्गाजी, हनुमानजी इत्यादि की मूर्तियां काफी प्रसिद्ध हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के यंत्र, नक्सीदार घंटी-घंटा, सिंहासन, आचमनी पंचपात्र व सिक्कों की ढलाई वाले सील भी विख्यात रहे हैं। 

पिछले 9 वर्षों में वाराणसी क्षेत्र में जीआइ की संख्या बढ़कर हुई 34:   

  • जीआइ विशेषज्ञ पद्मश्री डा. रजनीकांत ने बताया कि 2014 के पहले वाराणसी क्षेत्र से मात्र बनारस ब्रोकेड एवं साड़ी और भदोही हस्तनिर्मित कालीन ही जीआइ पंजीकृत थे। 
  • मात्र नौ वर्षों में यह संख्या 34 तक पहुंच गई है। इससे भारत की समृद्ध विरासत को अंतर्राष्ट्रीय कानूनी पहचान मिली।
  • इससे लगभग वाराणसी परिक्षेत्र सहित नजदीकी जीआइ पंजीकृत जिलों में ही लगभग 30 हजार करोड़ का वार्षिक कारोबार हुआ है। इसके साथ ही 20 लाख लोगों को अपने परंपरागत उत्पादों का कानूनी संरक्षण प्राप्त हुआ है।

रोजगार के नए अवसर खुले, पर्यटन-व्यापार व ई-मार्केटिंग के माध्यम से यहां के उत्पाद तेजी से दुनिया के सभी भू-भाग में पहुंच रहे हैं। अकेले ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के तकनीकी सहयोग से 14 राज्यों में 148 जीआइ उत्पादों का पंजीकरण कराया जा चुका है।

FAQ

Answer: उत्तर प्रदेश

Answer: वाराणसी

Answer: वाराणसी

Answer: 75
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