राष्ट्र 7 अगस्त 2024 को 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहा है। यह दिन भारत में बुनाई समुदाय और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनके अमूल्य योगदान को स्वीकार करने और सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। हथकरघा क्षेत्र, जो भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, कृषि क्षेत्र के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है।
2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त को हर साल राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने की घोषणा की थीं। इस दिन का ऐतिहासिक महत्व है। 7 अगस्त 1905 को देश में स्वदेशी आंदोलन शुरू करने पर सहमत हुए थे।
अंग्रेजों ने राष्ट्रवादी आंदोलन को कुचलने के लिए बंगाल को विभाजित करने का प्रस्ताव रखा था । जुलाई 1905 में, ब्रिटिश सरकार ने बंगाल प्रांत को विभाजित करके "पूर्वी बंगाल और असम" का एक नया प्रांत बनाने की घोषणा की।
अंग्रेजों ने राष्ट्रवादी आंदोलन को कुचलने के लिए बंगाल को विभाजित करने का प्रस्ताव रखा। जुलाई 1905 में, ब्रिटिश सरकार ने बंगाल प्रांत को विभाजित करके "पूर्वी बंगाल और असम" का एक नया प्रांत बनाने की घोषणा की।
बंगाल के विभाजन का विरोध करने के लिए, कृष्णकुमार मित्र की बंगाली पत्रिका संजीबानी ने ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा।
7 अगस्त 1905 को कलकत्ता टाउन हॉल में प्रमुख लोगों की बैठक में स्वदेशी के इस विचार का समर्थन किया गया।
पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त 2015 को प्रधान मंत्री द्वारा चेन्नई में मनाया गया था।
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय 7 अगस्त 2024 को नई दिल्ली में 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
इस अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि होंगे।
समारोह के दौरान, हथकरघा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए हथकरघा बुनकरों को संत कबीर पुरस्कार और राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड ने 10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में "विरासत" हथकरघा" प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
"विरासत" प्रदर्शनी 3 से 16 अगस्त 2024 तक आयोजित की जाएगी। प्रदर्शनी में देश के विभिन्न हिस्सों से हथकरघा उत्पाद प्रदर्शन और बिक्री के लिए हैं।