नववर्ष 2024 के पहले दिन(1 जनवरी) गुजरात में सामूहिक सूर्य नमस्कार करने का गिनीज वर्ड रिकॉर्ड बनाया गया। इस अवसर पर गुजरात के 108 स्थानों पर 50,000 से अधिक लोगों द्वारा एक साथ 'सूर्य नमस्कार' किया गया जो कि अपने स्वरूप में अनूठा था। इस अद्वितीय स्वरूप के साथ ही इस आयोजन को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर गुजरात को एक साथ सूर्य नमस्कार करने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए बधाई दी है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशवासियों से आग्रह किया कि वे सूर्य नमस्कार को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से अनेक लाभ मिलते हैं और बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं दूर होती हैं।
- 108 की संख्या(गुजरात में 108 जगह पर एक साथ सूर्य नमस्कार किया गया) हमारी संस्कृति में एक विशेष महत्व रखती है।
- सूर्य नमस्कार के स्थानों में प्रतिष्ठित मोढेरा सूर्य मंदिर भी शामिल है। जहाँ अनेक लोग इसमें शामिल हुए। यह, योग और अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का सच्चा प्रमाण है।
मुख्य कार्यक्रम मोढेरा सूर्य मंदिर में:
- गुजरात सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में उल्लेख किया गया कि इस आयोजन का मुख्य कार्यक्रम मेहसाणा जिले के मोढेरा सूर्य मंदिर में आयोजित किया गया।
- मोढेरा के सूर्य मंदिर में आयोजित सामूहिक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भी उपस्थिति रहे।
सूर्य नमस्कार के बारे में:
- सूर्य नमस्कार उगते सूर्य को सम्मान देने का एक प्राचीन योग अभ्यास है। इसमें विभिन्न आसन या योगाभ्यास को शामिल किया जाता है।
- सूर्य नमस्कार की प्राचीन प्रथा न केवल व्यक्ति को व्यायाम के माध्यम से अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने में मदद करती है, बल्कि यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता से भी जोड़ती है।
- ‘सूर्य नमस्कार’ का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ्य रखने का उत्तम तरीका है।
- सूर्य नमस्कार 12 शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है।
- सूर्य नमस्कार एक पूर्ण यौगिक व्यायाम है, इसके नियमित अभ्यास से तन और मन दोनों को लाभ प्राप्त होता है।
सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से कुछ प्रमुख आसन:-
- प्रणाम आसन (प्रार्थना मुद्रा)
- हस्त उत्तानासन (उठाए हुए हथियार मुद्रा)
- हस्त पदासन (हाथ से पैर तक की मुद्रा)
- अश्व संचलानासन (घुड़सवारी मुद्रा)
- दंडासन (छड़ी मुद्रा)
- अष्टांग नमस्कार (शरीर के आठ भागों या बिंदुओं के साथ नमस्कार)
- भुजंगासन (कोबरा मुद्रा)
- पर्वतासन (पर्वत मुद्रा)
- अश्व संचलानासन (घुड़सवारी मुद्रा)
- हस्त पदासन (आगे की ओर झुकते हुए)
- हस्त उत्तानासन (उठाए हुए हथियार मुद्रा)
- ताड़ासन (पर्वतीय मुद्रा)
मोढेरा सूर्य मंदिर के बारे में:
- मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा गाँव में पुष्पावती नदी के किनारे स्थित है। यह सूर्य मन्दिर विलक्षण स्थापत्य और शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है।
- इस मंदिर का निर्माण सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में दो हिस्सों में करवाया था।
- जिसमें पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। गर्भगृह में अंदर की लंबाई 51 फुट, 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट, 8 इंच है। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं।
- इस मंदिर का निर्माण ईरानी शैली में किया गया है।
- इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों के अलावा रामायण और महाभारत के प्रसंगों को बेहतरीन कारीगरी के साथ दिखाया गया है।
- इस मंदिर के निर्माण में जोड़ लगाने के लिए कहीं भी चूने का प्रयोग नहीं किया गया है।
- इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने से वह गोल नजर आते हैं।
- मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया था कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे।
- सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड है जो सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से प्रसिद्ध है।
पुराणों में मोढेरा के सूर्य मंदिर का उल्लेख:
- मोढेरा के सूर्य मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी किया गया है। प्राचीन काल में मोढेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र धर्मरन्य के नाम से जाना जाता था।
- पुराणों के अनुसार भगवान श्रीराम ने रावण के संहार के बाद आत्मशुद्धि और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यहाँ आए थे।