राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने 21 अगस्त 2023 को स्टॉकहोम जल सप्ताह में 'एकीकृत नदी बेसिन योजना और प्रबंधन के लिए सहयोगी नेटवर्किंग' पर आयोजित ऑनलाइन सत्र की अध्यक्षता की।
इस सत्र में 160 से अधिक लोगों ने भाग लिया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने 20 अगस्त को स्टॉकहोम जल सप्ताह के उद्घाटन दिवस पर 'जल गुणवत्ता प्रबंधन: भारत से सीखे गए उदाहरण' विषय पर आयोजित एक सत्र में भी भाग लिया।
- इसमें नदी बेसिन प्रबंधन दृष्टिकोण को अपनाने पर एक संवादात्मक चर्चा की गई।
- एनएमसीजी के महानिदेशक के अनुसार नमामि गंगे परियोजना पांच महत्वपूर्ण स्तंभों पर केंद्रित है - निर्मल गंगा (प्रदूषण मुक्त नदी), अविरल गंगा (अप्रतिबंधित प्रवाह), जन गंगा (लोगों की भागीदारी), ज्ञान गंगा (ज्ञान एवं अनुसंधान आधारित गतिविधियां) और अर्थ गंगा (मानव-नदी अर्थव्यवस्था के सेतु के माध्यम से जुड़ते हैं)।
- नमामि गंगे दुनिया के प्रशंसित नदी पुनर्जीवन कार्यक्रमों में से एक है और 13 दिसंबर, 2022 को मॉन्ट्रियल में जैविक विविधता पर हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीओपी 15) के दौरान इसे शीर्ष 10 "विश्व पुनर्स्थापना सर्वोत्कृष्ट" कार्यक्रमों में से एक के रूप में मान्यता प्रदान गई थी।
- नमामि गंगे परियोजना में 4.5 अरब अमरीकी डॉलर की पर्याप्त वित्तीय सहायता शामिल है और आवश्यक प्रयासों ने गंगा नदी के जल की गुणवत्ता पर पहले ही सकारात्मक प्रभाव डाला है।
- इस संबंध में नदी के प्रदूषित हिस्सों का नवीनीकरण और नदी के पानी की गुणवत्ता में आए महत्वपूर्ण सुधार से पता चलता है।
- गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल और कछुए जैसी जलीय प्रजातियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। गंगा बेसिन में 93 लाख से अधिक भारतीय मेजर कार्प मछली (कतला, रोहू और मृगल) तथा 90,000 हिल्सा मछलियां पाली गई हैं। इसके अलावा, संरक्षण प्रयासों को अधिक बेहतर करने के लिए वन अधिकारियों के लिए क्षमता विकास कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं।
- अर्थ गंगा के माध्यम से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का लक्ष्य संस्थागत निर्माण, शून्य-बजट प्राकृतिक खेती, एफबीओ का गठन, सार्वजनिक भागीदारी, अपशिष्ट जल एवं गाद का मुद्रीकरण, सांस्कृतिक विरासत तथा पर्यटन व आजीविका सृजन के माध्यम से सतत विकास प्रयासों का मार्गदर्शन और उपयोग करने के लिए लचीले संस्थानों की स्थापना करना है।
विश्व जल सप्ताह:
- स्टॉकहोम इंटरनेशनल वॉटर इंस्टीट्यूट द्वारा 1991 से हर वर्ष विश्व जल सप्ताह का आयोजन किया जाता है। यह वैश्विक जल पर अग्रणी सम्मेलन है, जो सभी क्षेत्रों और राष्ट्रीय सीमाओं के पार सहयोग की वकालत करता है।
- वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटने की शुरुआत अक्सर पानी से होती है।
- यहां आप खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य से लेकर कृषि, प्रौद्योगिकी, जैव विविधता और जलवायु संकट तक व्यापक विषयों पर चर्चा कर सकते हैं। प्रत्येक वर्ष की अपनी थीम होती है जिसे कई अलग-अलग दृष्टिकोणों से तय किया जाता है।
- विश्व जल सप्ताह का आयोजन प्रति वर्ष 23 अगस्त से 1 सितंबर तक किया जाता है। विश्व जल सप्ताह वैश्विक जल मुद्दों और अंतर्राष्ट्रीय विकास से संबंधित चिंताओं को दूर करने हेतु वर्ष 1991 से स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय जल संस्थान (SIWI) द्वारा आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है।
- वर्ष 2023 की थीम ‘सीड ऑफ़ चेंज: इनोवेटिव सोल्यूशनस फॉर ए वाटर-वाईज वर्ल्ड’ है।
- इस सप्ताह के दौरान विशेषज्ञ सतत् विकास लक्ष्य 6 पर ध्यान केंद्रित कर कार्यक्रमों पर चर्चा करतें हैं। सतत् विकास लक्ष्य 6 सभी तक जल की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु समर्पित है।
- विश्व जल सप्ताह के दौरान विश्व प्रसिद्ध स्टॉकहोम जल पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय जल संस्थान प्रदान करता है।
- 22 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व जल दिवस पर पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है। वर्ष 2022 में यह पुरस्कार विल्फ्रेड ब्रुट्सर्ट ने प्राप्त किया था।
स्टॉकहोम जूनियर वाटर पुरस्कार 2023
- संयुक्त राज्य अमेरिका की नाओमी पार्क को समुद्र से कार्बन डाइऑक्साइड और तेल उत्पादों को हटाने पर उनके शोध के लिए प्रतिष्ठित स्टॉकहोम जूनियर वॉटर पुरस्कार 2023 प्राप्त हुआ।
- स्वीडन की एचआरएच क्राउन प्रिंसेस विक्टोरिया ने स्टॉकहोम में विश्व जल सप्ताह के एक समारोह के दौरान विजेता को पुरस्कार प्रदान किया।
नमामि गंगे: यूनिवर्सिटीज कनेक्ट:
नदी-शहर गठबंधन:
- नदी-शहर गठबंधन, एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि यह एक और अनोखी पहल है, जो भारत में नदियों के किनारे बसे शहरों को स्थायी शहरी नदी प्रबंधन के लिए चर्चा करने, विचार-विमर्श करने व अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए एक समर्पित मंच प्रदान करती है।
गंगा पुनरुद्धार/भारत यूरोपीय संघ भागीदारी जीआईजेड इंडिया: