पंजाब में, जैविक कृषि (ऑर्गेनिक फार्मिंग) को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने बासमती फसल की खेती के लिए 'अवशेष-मुक्त कृषि' नाम की एक प्रायोगिक परियोजना आरंभ की है।
इस परियोजना के अंतर्गत अमृतसर जिले के चोगावां ब्लॉक में बासमती फसल की खेती आरंभ किया है।
- अवशेष-मुक्त कृषि में रसायनों का न्यूनतम या बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
- अमृतसर का चोगावां ब्लॉक रावी नदी के घाटी में स्थित है और इसमें सबसे सुगंधित लंबे अनाज वाले बासमती चावल के पोषण के लिए अनुकूल जलवायु परिस्थितियां मौजूद हैं, जो इसे निर्यात गुणवत्ता वाली उपज बनाती है।
- पंजाब सरकार के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां के अनुसार, कृषकों को कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में जागरूक करने के लिए क्षेत्र में एक जागरूकता अभियान भी आरंभ किया गया है।
- इसी क्रम में बासमती फसल पर लगभग 10 कीटनाशकों/कवकनाशकों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
जैविक कृषि (ऑर्गेनिक फार्मिंग):
- जैविक कृषि, कृषि की वह विधि है जिसमें संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों का प्रयोग नहीं या काफी कम किया जाता है। जैविक कृषि में भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिए फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग किया जाता है।
- जैविक कृषि में मिट्टी, पानी, रोगाणुओं और अपशिष्ट उत्पादों, वानिकी और कृषि जैसे प्राकृतिक तत्त्वों का एकीकरण शामिल है।
- भारत के पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम पूर्णतः जैविक कृषि अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इसके अतिरिक्त त्रिपुरा और उत्तराखंड राज्य भी इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में प्रयासरत हैं।
जैविक कृषि से लाभ:
- कीटनाशकों और रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
- जल संरक्षण और जल को स्वच्छ बनाये रखता है।
- पशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण को बनाये रखता है।
- मृदा की गुणवत्ता बनाये रखता है।
- मृदा के कटाव को रोकता है।
- जैविक कृषि को व्यापक तौर पर अपनाने से वैश्विक तापन के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।