केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 31 जुलाई 2023 को जारी एक अधिसूचना में घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे पेट्रोलियम तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) जिसे लोकप्रिय रूप से अप्रत्याशित कर (विंडफॉल टैक्स) के रूप में भी जाना जाता है, को 1,600 रुपये से बढ़ाकर 4,250 रुपये प्रति टन कर दिया है।
डीजल पर 1 रुपये प्रति लीटर का विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया है । एसएईडी में यह बढ़ोतरी 1 अगस्त 2023 से लागू है।पेट्रोल और विमान ईंधन पर फिलहाल कोई विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क नहीं है ।
अप्रत्याशित कर लगाने का कारण
- भारत सरकार ने 1 जुलाई 2022 को देश में उत्पादित कच्चे तेल तथा पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन के निर्यात पर अप्रत्याशित कर लगाया था ताकि भारत से इसके निर्यात को हतोत्साहित किया जा सके।
- रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण 2022 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बहुत ऊंची थीं।
- इसका फायदा उठाने और बंपर मुनाफा कमाने के लिए निजी तेल रिफाइनिंग कंपनियों ने भारत से घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे पेट्रोलियम तेल और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करना शुरू कर दिया, जिससे भारत में इन पदार्थों में कमी हो गई ।
- परिणामस्वरूप , भारत में कच्चे पेट्रोलियम तेल और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई।
- निजी तेल रिफाइनरों को ऐसे कच्चे पेट्रोलियम तेल और उत्पादों के निर्यात से हतोत्साहित करने और घरेलू बाजार उत्पादों में इसकी कीमतें पर लगाम लगाने के लिए , भारत सरकार ने विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क या अप्रत्याशित कर लगाया।
विंडफॉल टैक्स/अप्रत्याशित कर
- यह एक विशेष कर है जो उन कंपनियों पर लगाया जाता है जो अपने द्वारा बेचे जाने वाले सामानों की कीमत में अचानक वृद्धि के कारण असामान्य लाभ अर्जित करती हैं।
- भारत में कच्चे तेल की घरेलू कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमतों से जुड़ी हुई है।
- अंतरराष्ट्रीय मूल्य में वृद्धि के साथ घरेलू मूल्य स्वतः ही बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप ओएनजीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड और वेदांत लिमिटेड जैसी कच्चे तेल उत्पादक कंपनियों को असामान्य लाभ होता है।
उत्पाद शुल्क
- यह एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं के उत्पादन के दौरान लगाया जाता है।
- पेट्रोलियम पर उत्पाद शुल्क, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत नहीं आता है।
- विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क या अप्रत्याशित कर के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा जुटाया गया सारा राजस्व भारत सरकार द्वारा रखा जाता है और इसे राज्य सरकार के साथ साझा नहीं किया जाता है।