केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में मुंबई में कॉर्पोरेट ऋण बाजार विकास कोष (सीडीएमडीएफ) का शुभारंभ किया।
निर्मला सीतारमण ने अपने 2021-22 के केंद्रीय बजट भाषण में बाज़ार में ऄव्यवस्ट्था और सामान्य समय के दौरान कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में द्वितीयक बाजार की तरलता बढ़ाने के लिए एक स्थायी संस्थागत ढांचे के निर्माण की घोषणा की थी जिससे से कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार के प्रति प्रतिभागियों के बीच विश्वास मज़बूत होगा।
29 मार्च 2023 को, भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 3000 करोड़ रुपये के प्रारंभिक कोष के साथ कॉर्पोरेट ऋण बाजार विकास कोष (सीडीएमडीएफ) की स्थापना की घोषणा की। इसे वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के रूप में स्थापित किया गया है।
इस फंड का प्रारंभिक कोष 3000 करोड़ रुपये का होगा। जिसमें विशेषीकृत ऋण म्यूचुअल फंड और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) द्वारा योगदान दिया जाएगा।
फंड की समयावधि 15 वर्ष होगी।
सीडीएमडीएफ बाज़ार में ऄव्यवस्ट्था के समय निवेश ग्रेड कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों (बॉन्ड, डिबेंचर आदि) की खरीद के लिए बैकस्टॉप सुविधा प्रदान करेगा, ताकि ऄव्यवस्ट्था के समय निवेशकों द्वारा घबड़ाहट में प्रतिभूतियों की बिक्री को रोका जा सके और बाज़ार में ऄव्यवस्ट्था को कम करने में मदद मिल सके।
बैकस्टॉप सुविधा का प्रबंधन एसबीआई म्यूचुअल फंड द्वारा किया जाएगा।
यह केवल उन्हीं म्यूचुअल फंडों को सहायता प्रदान करेगा जिन्होंने सीडीएमडीएफ के कोष में योगदान दिया है।
इस कोष को गारंटी केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अन्तर्गत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी (एनसीजीटीसी) द्वारा दी जाएगी।
संकट के समय म्यूचुअल फंड कंपनियां अपने योगदान का 10 गुना तक निकासी कर सकेंगे। इसका मतलब है कि अगर म्यूचुअल फंड ने सीडीएमडीएफ में 10 करोड़ रुपये का निवेश योगदान दिया है तो वह अधिकतम 10 करोड़ x10 =100 करोड़ रुपये निकाल सकेगीं।
म्यूचुअल फंड निवेशकों से धन एकत्रित करता है और बाजार में निवेश करता है। निवेशक अलग-अलग योजना की यूनिटें खरीदकर म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करते हैं। आम तौर पर एक यूनिट 10 रुपये के बराबर होती है।
इसलिए यदि कोई व्यक्ति म्यूचुअल फंड में 1000 रुपये का निवेश करता है तो उसे म्यूचुअल फंड योजना की 100 इकाइयां आवंटित की जाती हैं। मान लीजिए कि म्यूचुअल फंड द्वारा शुरू की गई योजना एक ऋण योजना है। इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड अपने खर्च और शुल्क में कटौती के बाद निवेशक से एकत्र किए गए फंड/धन को कंपनियों के बॉन्ड और डिबेंचर खरीदने में निवेश करेगा।
म्यूचुअल फंड निवेश का मूल्य, योजना के शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) में परिलक्षित होता है। एनएवी का उस बांड के बाजार मूल्य के बीच सीधा संबंध होता है जिसमें उसने निवेश किया है। इस प्रकार, यदि बांड की कीमतें, जिसमें म्यूचुअल योजना ने निवेश किया है, बढ़ेंगी तो यूनिट का एनएवी बढ़ जाएगा और यदि बाजार में बांड की कीमतें कम हो जाती हैं, तो एनएवी का मूल्य भी कम हो जाएगा।
निवेशक प्रचलित एनएवी पर यूनिटों को म्यूचुअल फंड को वापस बेचकर योजना से अपना पैसा निकाल सकते हैं। इसे विमोचन(रिडेम्पशन) कहा जाता है।
मान लीजिए कि किन्ही कारणों से बांड बाजार क्रैश हो जाता है और बांड का बाजारी मूल्य गिर जाता है। इसलिए, यदि बांड का बाजारी मूल्य गिरता है तो एनएवी का मूल्य भी तेजी से घट जाएगा।
इससे निवेशक के लिए घबराहट की स्थिति पैदा हो जाती है। उनका मानना है कि अगर बांड की कीमत लगातार गिरती रहेगी तो एनएवी का मूल्य भी तेजी से गिरेगा, जिससे निवेशक को भारी नुकसान होगा।
इस स्थिति से निवेशक घबरा जाता है और अपने घाटे की प्रतिपूर्ति या कम करने के लिए यूनिट को वापस म्यूचुअल फंड बेचना शुरू कर देता है। म्यूचुअल फंड को निवेशक से यूनिट वापस खरीदने के लिए धन की आवश्यकता होती है। इसके लिए म्यूचुअल फंड को उन बॉन्ड्स को बाजार में बेचना होगा जिनमें उसने निवेश किया है। चूंकि बांड बाजार पहले से ही खराब स्थिति में है, इसलिए म्यूचुअल फंड को अपने द्वारा बेचे जाने वाले बांड के लिए बहुत कम कीमत मिलती है।
इस प्रकार म्यूचुअल फंड को तरलता संकट का सामना करना पड़ता है। इसके पास अपने यूनिट धारक के विमोचन अनुरोध को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन या वित्त की व्यवस्था नहीं होती है। इससे म्यूचुअल फंड का मूल्य गिर सकता है जैसा कि टेम्पलटन म्यूचुअल फंड के साथ हुआ था। अगर ऐसा हुआ तो लोगों का म्यूचुअल फंड से भरोसा उठ जाएगा और वे इसमें निवेश करना बंद कर देंगे।
यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होगा क्योंकि म्यूचुअल फंड जनता की बचत को संगठित करके बॉन्ड / डिबेंचर खरीदकर कंपनियों को पैसे प्रदान करता है। कंपनियां इस पैसे का उपयोग कारखानों में निवेश और नई इकाइयाँ स्थापित करने के लिए करती हैं जो नई नौकरियां बनाती हैं।
ऐसी स्थिति को रोकने के लिए और इस तरह के परिस्थिति में म्यूचुअल फंड को तरलता समर्थन प्रदान करने के लिए सरकार सीडीएमडीएफ के स्थापना के विचार के साथ सामने आई है।
यहां सीडीएमडीएफ म्यूचुअल फंड को तरलता समर्थन उपलब्ध कराएगा ताकि म्यूचुअल फंड पूरी तरह से बाजार में औंधे मुंह ना गिरे। और म्यूचुअल फंड सेक्टर की ओर निवेशक के बीच आत्मविश्वास का संकट न पैदा हो।
बैकस्टॉप सुविधा एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत यदि वित्त के प्राथमिक स्रोत वर्तमान वित्तीय आवश्यकता को पूरा करने में अक्षम हो जाते हैं तब ऐसी स्थिति में द्वितीयक स्रोत के रूप वित्त व्यवस्था के उपाय का कार्य करती है।
यह सुविधा वित्त साधक के लिए वित्त के अंतिम उपाय के रूप में कार्य करती है। इस जोखिम को बैकस्टॉप सुविधा प्रदाता द्वारा लिया जाता है।
सीडीएमडीएफ में जोखिम भारत सरकार द्वारा समर्थित राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी (एनसीजीटीसी) द्वारा लिया जाएगा। इस प्रकार, यह एक तरह की संप्रभु गारंटी है।
प्राथमिक बाजार वह बाजार है जहाँ कंपनी सीधे निवेशकों से धन उठाती है। सरल शब्दों में यह वह बाजार है जहां कंपनियां अपने शेयर या बॉन्ड, निवेशक को सीधे तौर पर बेचती हैं और फिर उसके बाद कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर अपने जारी किए गए शेयरों या बॉन्ड, डिबेंचर को सूचीबद्ध कराते हैं।
द्वितीयक बाजार वह बाजार है जहां बीएसई, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने के बाद कंपनियों के सूचीबद्ध शेयर, बॉन्ड या डिबेंचर्स की खरीद और बिकवाली की जाती है। स्टॉक मार्केट द्वितीयक बाजार का हिस्सा है।