विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 7 अगस्त 2023 को भारत निर्मित एक और कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है। इस बार इराक से भारतीय सिरप को लेकर आपत्ति दर्ज की गई है।
इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय है कि पिछले 10 महीने में पांचवीं बार है जब भारतीय दवाइयों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस दवा का निर्माण फोरर्ट्स (इंडिया) लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कोल्ड आउट कफ सिरप नाम से किया गया।
इस सिरप की मैन्युफैक्चरर तमिलनाडु की फोर्ट्स इण्डिया लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड है। इसकी प्रोडक्शन यूनिट डाबीलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड नाम से महाराष्ट्र में स्थित है।
कोल्ड आउट सिरप को प्रयोगशाला विश्लेषण के बाद इसके नमूने में संदूषक के रूप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (0.25%) और एथिलीन ग्लाइकॉल (2.1%) की अस्वीकार्य मात्रा पाई गई। जबकि एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल दोनों के लिए स्वीकार्य सुरक्षा सीमा 0.10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
यह कोल्ड आउट सिरप (पैरासीटामॉल और क्लोरफेनिरामिन मालियट) की गुणवत्ता खराब है और सेहत के लिए खतरनाक है।
पेरासिटामोल और क्लोरफेनिरामाइन संयोजन सिरप का उपयोग सर्दी और एलर्जी के इलाज और राहत के लिए किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार निर्माता और विपणनकर्ता डाबीलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, भारत, दोनों डब्ल्यूएचओ को उत्पाद की सुरक्षा और गुणवत्ता पर गारंटी देने में विफल रहे हैं।
डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल का सेवन इंसानों के लिए घातक साबित हो सकता है। इसके उपयोग से, विशेषकर बच्चों में, गंभीर बीमारी या मृत्यु हो सकती है। विषाक्त प्रभावों में पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में असमर्थता, सिरदर्द, परिवर्तित मानसिक स्थिति और तीव्र गुर्दे की बीमारी सहित मृत्यु हो सकती है।
हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने सभी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को निर्देश दिया है कि वे दूषित दवा उत्पाद के उपयोग से जुड़े प्रतिकूल घटनाओं के किसी भी संदिग्ध या पुष्ट मामलों की शीघ्र राष्ट्रीय नियामक अधिकारियों और राष्ट्रीय फार्माको-सतर्कता केंद्र को सूचित करें।
भारत में निर्मित कफ सिरप को उज्बेकिस्तान, गाम्बिया और इंडोनेशिया में दर्जनों बच्चों की मौत से जोड़ा गया है। जिससे सरकार को कफ सिरप के लिए निर्यात नीति को सख्त करने के लिए प्रेरित किया गया है। अब अन्य देशों में निर्यात करने से पूर्व परीक्षण करना अनिवार्य है।
इस सन्दर्भ में मई 2023 में भारत सरकार ने आदेश जारी किया था कि निर्यात होने वाली खांसी की दवा को एक प्रमाणपत्र लेना होगा। जो काफी कड़े परीक्षणों के बाद जारी किया जाएगा और यह जांच एक सरकारी प्रयोगशाला में की जाएगी।
व्यापार मंत्रालय ने मई में यह यह निर्देश जारी किया था, जिसे एक जून 2023 से लागू कर दिया गया है।
भारत में दवा निर्माण उद्योग 41 अरब डॉलर का है जो विश्व के सबसे बड़े दवा निर्माताओं में से है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारत का दवा उद्योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों से जूझ रहा है क्योंकि गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और अमेरिका में भी भारत में बनीं दवाओं के कारण लोगों की मृत्यु हुई है।