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चंद्रशेखर विश्व बैंक की दक्षिण -दक्षिण ज्ञान साझाकरण श्रृंखला में शामिल हुए

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Chandrashekhar joins World Bank's South-South Knowledge Sharing Series Summit and Conference 5 min read

केंद्रीय कौशल विकास, उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने 25 सितंबर 2023 को विश्व बैंक द्वारा आयोजित ‘दक्षिण-दक्षिण ज्ञान साझाकरण श्रृंखला’ सम्मेलन में आभासी रूप से भाग लिया। 

यह कार्यक्रम भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) और भारत के प्रयास से जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने के प्रकाश में, एक प्रेरणादायक मॉडल के तौर पर भारत की क्षमता पर केंद्रित है।

सम्मेलन का विषय: 

  • यह सम्मेलन "डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: द इंडिया स्टोरी" विषय पर आधारित था।

सम्मलेन की आवश्यकता क्यों: 

  • आभासी तौर पर आयोजित इस सम्मलेन के दौरान अफ्रीकी संघ के प्रतिनिधियों ने डीआईपी के उन महत्वपूर्ण अवसरों पर प्रकाश डाला, जो डीपीआई उन देशों को उपलब्‍ध करा सकते हैं जिनके नागरिक अभी तक इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं।
  • इसका व्यापक लक्ष्य इंटरनेट को सक्षम बनाना, परिवर्तन, लचीलापन और सुरक्षा को बढ़ावा देना है। 
  • अब तक, भारत ने अपने स्टैक को साझा करने के लिए लगभग आठ देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में भारत की सफलता का प्रमाण है। 
  • जी20 ने डीपीआई आधारित दृष्टिकोण को मान्यता दी है। ऐसा माना जाता है कि जो देश डिजिटलीकरण में पिछड़ गए हैं वे वैश्विक डीपीआई रिपोजिटरी का लाभ उठा सकते हैं।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई): 

  • डीपीआई डिजिटल पहचान, भुगतान अवसंरचना और डेटा विनिमय समाधान जैसे ब्लॉक या प्लेटफाॅर्म को संदर्भित करता है।
  • यह देशों को अपने लोगों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने, नागरिकों को सशक्त बनाने और डिजिटल समावेशन को सक्षम करके जीवन में सुधार करने में सहायता करता है।
  • डीपीआई लोगों, धन और सूचना के प्रवाह में मध्यस्थता करते हैं:
    • एक डिजिटल आईडी प्रणाली के माध्यम से लोगों का प्रवाह। 
    • रियल-टाइम त्वरित भुगतान प्रणाली के माध्यम से धन का प्रवाह और
    • डीपीआई के लाभों को प्राप्त करने एवं डेटा को नियंत्रित करने की वास्तविक क्षमता के साथ नागरिकों को सशक्त बनाने के लिये सहमति-आधारित डेटा साझाकरण प्रणाली के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी का प्रवाह।

क्या है दक्षिण-दक्षिण सहयोग?

  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग वैश्विक स्तर पर दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित विकासशील देशों के मध्य तकनीकी सहयोग को संदर्भित करता है। 'ग्लोबल साउथ' के अंतर्गत एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देश शामिल हैं।

उत्पत्ति: 

  • सितंबर 1978 में अर्जेंटीना में 138 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों द्वारा विकासशील देशों के मध्य तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने और लागू करने के लिए ब्यूनस आयर्स कार्य योजना को अपनाने से उत्पन्न हुआ है।
  • यह सहयोग कृषि विकास, मानवाधिकार, शहरीकरण, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन आदि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में ज्ञान, कौशल और सफल पहलों को सहयोग करने और साझा करने के लिए राज्यों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, शिक्षाविदों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण है।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग और दक्षिण-दक्षिण ज्ञान विनिमय एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने और व्यावहारिक विकास समाधानों और नीतियों की पहचान करने के लिए देश भर में नीति निर्माताओं, विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों और विकास चिकित्सकों को जोड़ता है।

विश्व बैंक:

  • स्थापना वर्ष: 1944
  • विश्व बैंक को आईएमएफ के साथ मिलकर पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक (आईबीआरडी) के रूप में स्थापित किया गया था।
  • कुछ समय बाद आईबीआरडी विश्व बैंक बन गया।
  • विश्व बैंक समूह पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है जो विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये कार्य कर रहा है।
  • वर्तमान में 189 देश विश्व बैंक के सदस्य हैं। भारत भी इसका सदस्य है।
  • अध्यक्ष: अजयपाल सिंह बंगा (एक भारतीय मूल के अमेरिकी बिजनेस एक्जीक्यूटिव हैं। वह वर्तमान में विश्व बैंक के अध्यक्ष हैं)

FAQ

Ans. - राजीव चंद्रशेखर (केंद्रीय कौशल विकास, उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री)

Ans. - डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: द इंडिया स्टोरी

Ans. - अजयपाल सिंह बंगा (एक भारतीय मूल के अमेरिकी बिजनेस एक्जीक्यूटिव हैं।)
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